अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद में सुनवाई महत्वपूर्ण दौर में पहुंच गई है। उच्चतम न्यायालय में बुधवार को हुई सुनवाई में इसकी तस्दीक की गई कि विवादित स्थल पर ढांचे को तोड़कर निर्माण किया गया। मस्जिद पहले से वहां नहीं थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ में जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा, इसमें कोई विवाद नहीं है कि जन्मस्थान पर विध्वंस और निर्माण हुआ। यहां पर मस्जिद बनी। पीठ ने यह टिप्पणी तब कि जब रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने बताया कि 1945 में शिया वक्फ बोर्ड ने सुन्नी बोर्ड के खिलाफ जिला अदालत में मुकदमा दर्ज किया था।
शिया बोर्ड ने इस स्थान का कब्जा मांगा था, लेकिन यह मुकदमा खारिज हो गया। इसर्में ंहदू पक्षकार नहीं थे। इस पर जस्टिस बोब्डे ने सुन्नी बोर्ड से पूछा कि इस मुकदमे में उसका क्या रुख था और उन्होंने उस समय क्या कहा था। बोर्ड के वकील धवन ने कहा कि यह उन्हें नहीं पता, लेकिन वह पता करेंगे। शिया बोर्ड वकील खड़े हुए और उन्होंने कहा कि इस मुकदमे में उन्होंने 72 साल बाद 2017 में एसएलपी पेश की है जिस पर वह बहस करेंगे। उनका दावा था कि मस्जिद शिया थी, क्योंकि मीरबकी(बाबर के सेनापति) शिया था।
चीनी यात्रियों का जिक्र:
वैद्यनाथन ने अंग्रेज पुरातत्वशास्त्री अलेक्जेंडर र्कंनघम, दो चीनी यात्री फा‘ान और ह्वेनसांग की यात्राओं का जिक्र किया जिसमें उन्होंने अयोध्या को सांची कहा, लेकिन एम मार्टिन ने अपनी पुस्तक में इस स्थान को अयोध्या बताया।अयोध्या के सेटलमेंट कमिश्नर पी कार्नेगी ने 1870 अपनी रिपोर्ट में अयोध्या में ढांचे का जिक्र किया। अयोध्या कमिश्नर ने 1950 में बताया कि स्थान पर 13 कसौटी खंबे हैं जिन पर गुंबद टिके हुए हैं। वैद्यनाथन ने बाराबंकी के गजेटियर का जिक्र किया जिसमें जन्मस्थान को लेकर्र ंहदू मुस्लिम संघर्ष का जिक्र है। उन्होंने कहा कि 1985 में बेल्जियम के शोधार्थी हैंस बेकर की पुस्तक में बताया गया है कि स्थल पर खुदाई में 130 गुणा 80 फुट की विशाल चौखट मिली थी।
कई धर्म समाहित की:
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता कि अयोध्या में कई धर्मों का प्रभाव रहा, कभी जैन तो कभी बौद्ध और उसके बाद इस्लाम। वैद्यनाथन ने कहा कि ईसापूर्व चौथी सदी में अयोध्या बर्बाद हो गई थी जिसे विक्रमादित्य ने पुनर्जीवित किया।ये कालखंड रहे हैं लेकिन इनके दौरान भी अयोध्या र्में हिन्दुओं की आस्था भगवान राम में रही। वैद्यनाथन ने पीठ से कहा कि यह स्पष्ट है कि ढांचा वहां पर था। यह (मस्जिद) निर्माण उस स्थान पर हुआ जिर्से हिन्दू मानते हैं कि यह (राम का) जन्मस्थान है। वैद्यनाथन ने कहा कि मंदिर गिराए जाने को लेकर दो कथन हैं। पहला बाबर द्वारा मंदिर गिराने के बारे में और दूसरा औरंगजेब द्वारा इसे गिराने के बारे में।