पटना उच्च न्यायलय ने पर्यावरण संरक्षण व बढ़ते प्रदूषण से गंभीर सरोकार जताते हुए कहा कि प्रदूषणमुक्त जीवन जीने का अधिकार भी मौलिक अधिकार है। पटना को हरा-भरा बनाने के लिए अगले 5 साल का रोडमैप बने, इसे न्यायलय में पेश किया जाए।
न्यायलय ने पटना की हरियाली के बारे में नगर विकास विभाग की रिपोर्ट पर असंतोष जताया और कहा कि इस बारे में विभागीय प्रधान सचिव खुद हलफनामा दें।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ पटना तथा आसपास के इलाकों में पेड़ों की कटाई के विरुद्ध गौरव कुमार सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी।
कोर्ट: सिर्फ सपाट नंबर से काम नहीं चलेगा। पौधों के बारे में पूरी रिपोर्ट दी जाए। एक उच्चस्तरीय कमेटी बने, जो पता करे कि पौधे किसने लगाए, लगे पौधों में कितने बचे तथा बाकी को बचाने के लिए क्या हो रहा है?
संविधान, इस देश के लोगों को जीवन जीने का मौलिक अधिकार देता है। इसमें स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण में जीना भी सम्मिलित है।’ व्यक्त तौर पर यह सब प्रदूषणमुक्त माहौल में ही संभव है। नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव खुद हलफनामा दायर करें