पटना – गुरुवार को एनएमसीएच(नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल) के कनिष्ठ डॉक्टरों की हड़ताल खत्म हो गई। 6 दिनों बाद कनिष्ठ डॉक्टर काम पर लौटे। चिकित्सालय में बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं के देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कनिष्ठ डॉक्टरों को बातचीत के लिए बुलाया था। करीब दो घंटे की बातचीत के बाद कनिष्ठ डॉक्टरों माने और हड़ताल खत्म करने का निर्णय किया।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से डॉक्टरों के 6 सूत्रीय मांगों को जल्द पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया गया। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जा सकता है।
कनिष्ठ डॉक्टरों के हड़ताल के कारण से एनएमसीएच में पिछले 6 दिनों में 100 से अधिक ऑपरेशन टले और 500 से अधिक मरीजों को उपचार के लिए दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ा। इमरजेंसी से लेकर ओपीडी सेवाएं ठप थी।
16 नवंबर से हड़ताल पर थे जूनियर डॉक्टर 16 नवंबर को बिजली कटने के बाद एनएमसीएच में वेंटिलेटर पर रहे डेंगू के मरीज की मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के बाद परिजन उग्र हो गए और जूनियर डॉक्टरों से मारपीट की। परिजन शिशु विभागाध्यक्ष के चैंबर में घुस गए और कुर्सियां तोड़ दीं। अन्य मरीजों के ट्रीटमेंट चार्ट भी फाड़ डाले।
डॉक्टरों ने मरीजों को समझाने की बजाय उनसे मारपीट आरम्न्भ कर दी और बाद में हड़ताल पर चले गए।
कनिष्ठ डॉक्टरों की मांगें –
- शिशु रोग विभागाध्यक्ष व अधीक्षक अपनी लापरवाही का उत्तरदायित्व लेते हुए इस्तीफा दें।
- मौजूदा सिक्यूरिटी एजेंसी को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
- सीसीटीवी कैमरे, सिक्यूरिटी अलार्म सिस्टम को दुरुस्त किया जाए।
- चिकित्सकों पर हमला करने वालों पर कार्रवाई हो।
- चिकित्सालय परिसर में टीओपी स्थापित हो।
- चिकित्सालय के सामने मेन गेट के पास स्पीड ब्रेकर बनाया जाए।
- पीजी छात्रों के लिए चिकित्सालय परिसर में ही हॉस्टल की व्यवस्था हो।