
पटना – कम पानी में अधिक उत्पादन के लिए किसानों को ड्रीप सिंचाई योजना पर 90 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। स्प्रिंलर सिंचाई पद्धति पर 75 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। इस पद्धति से सिंचाई में 30 से 40 प्रतिशत पानी ही नहीं उर्वरक की भी बचत होती है। कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि राज्य में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सूक्ष्म सिंचाई योजना का लाभ किसानों को दिलाया जा रहा है। अनुदान की राशि डीबीटी के माध्यम से किसानों के बैंक खाता में सीधे भेजने का प्रावधान है। राज्य सरकार अतिरिक्त राज्यांश का प्रावधान किया है। अब तक डीबीटी पोर्टल पर इस योजना के लिए 10198 किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया है।
मंत्री ने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी के साथ ही पानी की बचत होती है। तीसरे कृषि रोड मैंप 2017-22 में फसलों की सिंचाई के लिए सूक्ष्म सिंचाई पद्धति पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस पद्धति से फसलों की सिंचाई पर फसल की उत्पादकता में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है। साथ ही पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 60 प्रतिशत पानी की भी बचत होती है।
सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से पोधे की जड़ क्षेत्र में विशेष रूप से बने प्लास्टिक पाईप द्धारा एक निश्चित समय अंतराल पर पानी दिया जाता है। इस प्रणाली के तहत ड्रीप सिंचाई पद्धति, स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति और रेनगन सिंचाई पद्धति का उपयोग किया जाता है। इसके तहत जल वितरण लाइन और साज समान कंट्रोल हेड प्रणाली एवं उर्वरक टैंक रहते हैं। इस सिंचाई प्रणाली से फसल की उत्पादकता में 25 से 35 प्रशिक्षत वृद्धि होती है और उत्पाद की गुणवत्ता भी उच्च होती है। इस सिंचाई प्रणाली से मजदूरी की लागत की लागत खर्च में कमी के साथ पौधे पर रोगों का प्रकोप में भी कमी आती है।
इस प्रणाली को अपनाने से लगभग 25 से 30 प्रतिशत उर्वरक की बचत होती है। साथ ही, 30 से 35 प्रतिशत लागत में कमी होती है। कृषि रोड मैप 2017-22 में इस प्रणाली को कम-से-कम कुल क्षेत्रफल का लगभग 2 प्रतिशत क्षेत्र में सथापित करने का लक्ष्य है, ताकि बिहार के सब्जी एवं फल के उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी हो सके।