
मधुबनी जिले में करीब 75000 हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगी हुई है। इस बार गेहूं की फसल भी अन्य वर्षो की अपेक्षा श्रेष्ठतर है। पर कोरोना के बढ़ते संक्रमण और तालाबंदी की स्थिति में गेहूं की कटनी पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। किसान कोरोना के डर से खेतों से दूरी बनाए हुए हैं। सरकार से जारी परामर्श सामाजिक डिस्टेंस को मेंटेन करने की बात पर मजदूर पूरी तरह से कार्यान्वयन कर रहे हैं। इक्के दुक्के मजदूर को छोड़कर कोई भी खेतों में कटनी करने के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं। जिले में कुछ जगहों को छोड़कर सभी गांव में गेहूं काटने वाली मशीन भी उपलब्ध रहे जिससे किसान अपने गेहूं की कटनी करवा सके। विभागीय पदाधिकारी भी यंत्र को कीटाणुराहित करा कर गेहूं की कटनी करवाने की परामर्श तो दे रहे हैं पर इतनी संख्या में मशीन ही नहीं उपस्थित है कि किसान समय से अपने गेहूं की कटनी करवा सके। प्रखंडों को छोड़कर अन्य प्रखंडों में गेहूं पककर तैयार है।
यदि 15 दिनों के अंदर गेहूं कटने पूरी नहीं हुई तो फसल का बहुत हानि होगा। चायनीज़ वायरस कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए 14 अप्रैल तक तालाबंदी की स्थिति है। ऐसे में किसान करें भी तो क्या करें उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा। कुछ छोटे किसान अवश्य अपनी कटनी स्वयं करने को विवश हैं।
करीब 25 हज़ार हेक्टेयर में लगी थी दलहन व तिलहन:
जिले में करीब 25000 हेक्टेयर में दलहन और तिलहन की फसल भी लगाई गई थी। यद्यपि दलहन और तिलहन की फसल किसानों की अब करीब-करीब तैयार हो चुकी है कुछ जगहों पर इस सप्ताह दलहन और तिलहन की फसल तैयार हो जाएगी। ख़ासकर मसूर, तीसी, खेसारी, मटर सहित कई अन्य दलहनी और तिलहनी फसल करीब-करीब तैयार हो चुकी है।
15 दिनों में गेहूं की फसल होने लगेगी बर्बाद
किसान विवेकानंद ठाकुर, लीला चंद्र पांडे, रामसागर ठाकुर, शोभित मुखिया सहित अन्य किसानों ने कहा कि गेहूं की फसल पक कर तैयार है यदि 2 सप्ताह के अंदर गेहूं की फसल की कटाई नहीं हुई तो अधिकांश फसलें बर्बाद हो जाएंगे। बाद में कटनी करने पर गेहूं की बालियां खेतों में ही रह जाएंगी। गेहूं कटने की आसपास में मशीनें उपलब्ध नहीं रहने के कारण ही गेहूं कटाई प्रभावित हो रही है। मजदूर बिल्कुल खेतों में नहीं आना चाह रहे हैं।