शिरोमणि अकाली दल की नेता एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि से जुड़े तीन विधेयकों के विरोध में बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। लोकसभा में इन विधेयकों के पारित होने से मात्र कुछ ही घंटे पहले उन्होंने ट्वीट किया, “मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।”
कौर ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने चार पृष्ठों के पत्र में कहा कि उनके निरंतर तर्क करने और उनकी पार्टी के हरसंभव प्रयासों के बाद भी केंद्र सरकार ने इन विधेयकों पर किसानों का विश्वास प्राप्त नहीं किया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का हर सदस्य किसान है। कौर ने कहा कि शिअद ऐसा कर किसानों के हितों की पैरोकार होने की अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को बस जारी रख रही है।
बता दें कि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं। अकाली दल, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है। यह घटना इन प्रस्तावित कानूनों के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे कृषि सुधारों को लेकर शिअद और भाजपा के बीच संबंधों में आये तनाव को प्रदर्शित करती है। पंजाब में बड़ी संख्या में किसान इन विधेयकों के विरुद्ध हैं और इसने शिअद को दबाव में ला दिया, जिसका परिणाम सरकार से उसके एकमात्र प्रतिनिधि के त्यागपत्र के रूप में देखने को मिला है।
हरसिमरत के मंत्री पद छोड़ने के बाद हरियाणा में भाजपा के घटक दल जननायक जनता पार्टी पर भी दबाव बढ़ गया है। सूबे के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला शुक्रवार प्रातः मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिले। बाद में उन्होंने पूरे सम्बन्ध में अपने दल के शीर्ष नेताओं से बातचीत भी की। 90 विधान सभा सीटों वाले हरियाणा में जजपा के 10 विधायक हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी को शासन में आने में सहायता की थी।
बादल के त्यागपत्र के कुछ ही देर बाद कांग्रेस की ओर से रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर निशाना साधा था- दुष्यंत चौटाला, हरसिमरत कौर बादल के बाद आपको भी कम से कम उप मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए था। पर आप भी तो किसानों से अधिक अपनी गद्दी से लगाव रखते हैं।
हरसिमरत के त्यागपत्र पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बृहस्पतिवार कहा कि यह “और कुछ नहीं बल्कि एक नौटंकी” है। सिंह ने कहा कि यदि शिरोमणि अकाली दल ने पहले एक रुख अपनाया होता और कृषि अध्यादेशों के विरुद्ध उनकी सरकार का समर्थन किया होता तो हो सकता है कि केंद्र संसद में “किसान विरोधी” विधेयक आगे बढ़ाने से पहले 10 बाद सोचता। उन्होंने एक वक्तव्य में कहा, “क्या सुखबीर और हरसिमरत और उनकी मंडली को वह हानि नहीं दिखी जो यह विधेयक पंजाब की कृषि और अर्थव्यवस्था को पहुंचाएंगे?”
वहीं, हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा- देश 1947 में स्वतंत्र हो गया था लेकिन किसानों को इस 3 बिल के आने के बाद स्वतंत्रता मिली है। अब इसमें विपक्षी पार्टियां लोगों को गुमराह कर रही है और कुछ लोग हो भी रहें, लेकिन हमें आशा है कि धीरे-धीरे लोगों को यह बात समझ आएगी। इस बिल से किसानों को लाभ और उन्नति प्राप्त होगी।
मोदी ने किया बिल का बचाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा है कि किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं, जो किसानों की कमाई का बड़ा भाग स्वयं ले लेते हैं, उनसे बचाने के लिए यह विधेयक लाए जाने बहुत आवश्यक थे। यह विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आया है लेकिन कुछ लोग जो दशकों तक शासन में रहे हैं, देश पर राज किया है, वह लोग किसानों को इस विषय पर भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं, किसानों से झूठ बोल रहे हैं।
बकौल मोदी, “हमारी सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकारी खरीद भी पहले की तरह जारी रहेगी।” प्रधानमंत्री ने यह बातें शुक्रवार को ‘ऐतिहासिक’ कोसी रेल महासेतु को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद कहीं।