
भारत में कृषि के भविष्य को मजबूत करने के लिए, युवाओं को कृषि शिक्षा की ओर आकर्षित करना एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके लिए कृषि संबंधित विषयों के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने वाले युवाओं के बीच बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता हो सकती है. इसे ध्यान में रखते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सक्षम प्राधिकारी ने 3 दिसंबर को कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था, इस दिन स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति और 1946 में भारत के पहले कृषि मंत्री डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिन होता है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और वल्लभभाई पटेल भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रसिद्ध नेताओं में से एक थे.
डॉ. प्रसाद ने एक स्वयंसेवक के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1906 कलकत्ता सत्र में भाग लिया और 1911 में आधिकारिक रूप से पार्टी में शामिल हो गए. बाद में उन्हें AICC के लिए चुना गया. 1946 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में उन्हें खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में भी नियुक्त किया गया. कृषि उत्पादन के अधिकतमकरण में एक मजबूत विश्वासी के रूप में उन्होंने नारा दिया था ‘ग्रो मोर फूड’.
वर्तमान में स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए कृषि के विभिन्न पहलुओं पर पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों को शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है. कृषि शिक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य छात्रों को कृषि के विभिन्न पहलुओं और देश के विकास और इसके महत्व को उजागर करना है. इस दिन छात्रों को खेती के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया जाता है ताकि वे इस क्षेत्र में कुछ रुचि विकसित कर सकें. भारत सरकार ने कृषि में स्थायी विकास के लिए कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार को मजबूत करने के लिए कई पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों को लागू करना शुरू कर दिया है.
आज हमारे पास भारत में कई कृषि विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं. जो कि सबसे अच्छे कृषि महाविद्यालयों में से एक हैं –
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ,दिल्ली
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट ,करनाल
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ,कोयंबटूर
जी बी पंत युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी ,उत्तराखंड
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना
जिन छात्रों को कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी है और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे कृषि संबन्धित ऐसे कौन से कोर्से करें, तो इस लेख में नीचे दिये कोर्सों को करके भी आप कृषि क्षेत्र में करियर बना सकते है.तो आइए जानते है इन डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सिस के बारे में…
8वीं, 10वीं व 12वीं के बाद क्या करें
अगर आप 8वीं, 10वीं व 12वीं के बाद डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स करना चाहते है तो आप इग्नू के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर (एसओए) से आप 8 वीं कक्षा के बाद बी-कीपिंग और पॉल्ट्री फॉर्मिंग में सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं और 10वीं कक्षा करने के बाद छात्र सेरिकल्चर, वाटर हार्वेस्टिंग एंड मैनेजमेंट के सर्टिफिकेट प्रोग्राम में भी दाखिला ले सकते है. अगर आप ने 12वीं की है तो आप डेयरी टेक्नोलॉजी, फिश प्रॉडक्ट टेक्नोलॉजी, वैल्यू एडेड प्रॉडक्ट्स फ्रॉम फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स, मीट टेक्नोलॉजी, प्रॉडक्शन ऑफ वैल्यू एडेड प्रॉडक्ट्स फ्रॉम सीरियल्स, पल्स एंड ऑयल सीड्स में डिप्लोमा कर सकते हैं.
बीएससी के बाद एडीओ, बीटेक के बाद क्या करें
जिन छात्रों ने एग्रीकल्चर से बीएससी तीन वर्षीय और बीटेक चार साल का कोर्स किया है. बीएससी में छात्रों को एग्रीकल्चर के फंडामेंटल प्रिंसिपल्स के बारे में पढ़ाया जाता है और बीटेक में छात्रों को एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के प्रिंसिपल्स पढ़ाए जाते हैं. जिस वजह से बीएससी करने के बाद छात्रों के पास एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर, ट्रायल कॉर्डिनेटर एंड सेल्स ऑफिसर बनने के मौका मिलता हैं. वहीं बीटेक के बाद छात्रों को जूनियर प्लांटेशन इंजीनियर, असिस्टेंट प्लांट मैनेजर, साइंटिस्ट, जूनियर रिसर्च फेलो आदि बनने का अवसर मिलता है