नई दिल्ली – राज्यसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मोदी सरकार का साथ देने की घोषणा की है। आजाद ने कहा कि इस समय हमारी लड़ाई कोरोनावायरस से है, सरकार और विपक्ष की कोई लड़ाई नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई बैठक के बाद आजाद ने संवाददाता सम्मेलन के समय यह बातें कही। आजाद ने यह सूचना भी दी कि सर्वदलीय बैठक में 80 प्रतिशत नेताओं ने तालाबंदी बढ़ाने की मांग की।
कोरोना वायरस से संघर्ष में विलम्ब के प्रश्न पर मोदी सरकार की आलोचना से बचते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा, “जब कोई नया रोग होता है तो उसके प्रभाव और प्रसार के बारे में अनुमान लगाना बड़ा कठिन हो जाता है। लेकिन जैसे ही बाकी देशों में कोरोना का प्रभाव बढ़ने लगा कार्यवाई प्रारंभ हो गई। यहां भी जनवरी से ही आरम्न्भ हो गया था लेकिन उस समय ना केवल हिंदुस्तान बल्कि विश्व के किसी भी देश को इसके भयंकर प्रभाव का अनुमान नहीं था। यदि दूसरे देशों ने हमसे श्रेष्ठतर किया होता तो हम कह सकते थे कि हम पीछे रह गए लेकिन अभी यदि विश्व के हिसाब से देखें तो अब तक ऊपरवाले की कृपा है।”
प्रधानमंत्री के साथ बैठक में दिए गए सुझावों की सूचना देते हुए आजाद ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों के टास्क बल में कुछ मुख्यमंत्रियों को सम्मिलित करने की मांग की। कांग्रेस ने सभी राजनीतिक दलों को नेताओं को साथ लेकर कार्यकारी समूह बनाने और कोरोना से अधिक प्रभावित राज्यों के लिए विशेष वित्तीय पैकेज की मांग भी की है।
आजाद ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के समक्ष स्वास्थ्यकर्मियों की कठिनाईयों को प्राथमिकता से दूर करने और अधिक परीक्षण करवाने की मांग की। इसके साथ ही श्रमिकों को नि:शुल्क राशन, किसानों की फसल की खरीद की उचित व्यवस्था, न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और खाद, कीटनाशक, ट्रैक्टर जैसे कृषि उपकरणों से वस्तु एवं सेवा कर हटाने की मांगें भी रखीं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक में करीब डेढ़ दर्जन पार्टियों के नेताओं ने भाग लिया जिनमें से 80 प्रतिशत की राय तालाबंदी की अवधि बढ़ाने के पक्ष में थी। आजाद के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें कई लोगों और संस्थाओं से यह सुझाव आया है। मुख्यमंत्रियों से बात कर वह आवश्यकता के अनुसार इस पर निर्णय लेंगे।