पटना – वर्ष 2003 में जिस कोसी महासेतु की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी, उस पुल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। पुल बनाने में 17 वर्ष लग गए। इस महासेतु के बनने से सीमांचल और मिथिलांचल के 9 जिले के लोगों को सुविधा मिली है। 1.9 किलोमीटर लंबे कोसी रेल महासेतु को बनाने में 516 करोड़ रुपए की लागत आई।
पहले निर्मली से सरायगढ़ तक का यात्रा दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर का है। महासेतु के निर्माण से यह दूरी मात्र 22 किलोमीटर में सिमट गई।
1887 में निर्मली और भपटियाही के बीच मीटर गेज लिंक बनाया गया था जो 1934 में विनाशकारी भूकंप के कारण से विनष्ट हो गया था। कोसी और मिथिलांचल के बीच रेल संपर्क टूट गया । 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली में कोसी मेगा ब्रिज लाइन परियोजना की आधारशिला रखी थी।
कोसी की धाराओं को नियंत्रित करने का सफल प्रयास पश्चिमी और पूर्वी तटबंध एवं बैराज निर्माण के साथ 1955 में आरंभ हुआ। पूर्वी और पश्चिमी छोर पर 120 किलोमीटर का तटबंध 1959 में पूरा कर लिया गया और 1963 में भीमनगर में बैराज का निर्माण भी पूरा कर लिया गया। तद्पश्चात कोसी पर पुल बनाने का सपना साकार हो सका।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार में रेल संबद्धतांक के क्षेत्र में आज इतिहास रचा गया है। कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण, रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और नए रोजगार देने वाले एक दर्जन परियोजनाओं का आज लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है। लगभग तीन हजार करोड़ रुपए के इन परियोजनाओं से बिहार का रेल जाल तो सशक्त होगा ही पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत की रेल संबद्धतांक भी सुदृढ़ होगी।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने समस्तीपुर मंडल के मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी, समस्तीपुर-दरभंगा-जयनगर, समस्तीपुर-खगड़िया खंडों के रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।
विधानसभा चुनाव से पहले बिहार को प्रधानमंत्री की यह चौथी सौगात है। इससे पहले उन्होंने 10, 13 और 15 को विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया था।
मोदी 21 और 23 सितंबर को भी बिहार को चुनावी सौगात देंगे।