
छपरा – कृषि प्रौधोगिकी प्रबंध अभिकरण यानि आत्मा द्वारा जिले के खाद-बीज व उर्वरक विक्रेताओं को फसलों के अनुरूप बीज व रसायनिक उर्वरकों के बारे में किसानों को जानकारी देकर विक्रय करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्त नहीं करने वाले विक्रेताओं के लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही स्वपोषित स्किम के तहत कोई भी किसान या न्यूनतम इंटरमीडिएट उर्तीण अभ्यर्थी आत्मा में आवेदन देकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते है। जानकारी के अनुसार जिले के खाद – बीज व रसायनिक उर्वरक विक्रेताओं को आत्मा द्वारा “डीप्लोमा इन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन सर्विस फॉर इनपुट डीलर” कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण का संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र मांझी में किया जाएगा। विक्रेताओं को फसलों के पोषक तत्वों के बारे में सैद्धांतिक व प्रायोगिक जानकारी दी जाएगी। वहीं फसल के अनुरूप रसायनिक उर्वरक, बीज व खाद के प्रयोग करने के बारे में भी बताया जाएगा। किसानों को सही मात्रा में खाद, बीज व रसायनिक उर्वरक का प्रयोग करने की जानकारी दे सकें तथा उसके अनुसार बिक्री कर सके। इसके अलावे अन्य किसान या अभ्यर्थी स्वपोषिय योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करते है तो उन्हें कृषि से संबंधित चलाये जा रहे योजनाओं में वरीयता दी जाएगी।
क्या कहते है अधिकारी
आत्मा के परियोजना उपनिदेशक शमशेर आलम ने बताया कि स्वपोषित डीएईएसआई कोर्स का प्रशिक्षण के लिए विभाग द्वारा 40 सीट निर्धारित किया गया है। इसके लिए आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अभी तक करीब 20 आवेदन प्राप्त हो चुका है। प्रशिक्षण लेने वाले विक्रेताओं को पहले आओ पहले पाओ के तर्ज पर नामांकन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूर्व में 50 फीसद अनुदान पर प्रशिक्षण प्राप्त करने को लेकर आवेदन देने वालों के लिए एक हीं बैच संचालित किया जाएगा।
स्वपोषित एवं 50 फीसद अनुदान पर कृषि विभाग का आत्मा कराएगा प्रशिक्षण
खाद-बीज दुकान।
स्वपोषित डीएईएसआई कोर्स का होगा प्रशिक्षण
“डीप्लोमा इन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन सर्विस फॉर इनपुट डीलर” स्वपोषित कोर्स के प्रशिक्षण के लिए 20 हजार रूपया शुल्क निर्धारित किया गया है। इस कोर्स को करने वाले अभ्यर्थी को पुरा शुल्क देना होगा। आत्मा के उपनिदेशक ने बताया कि अभी स्वपोषित कोर्स योजना के तहत आवेदन देने वाले अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण की शुरूआत की जाएगी। विभाग से भी स्वपोषित प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले को वरीयता देने का निर्देश दिया है। जिसे संचालित करने को लेकर अग्रेतर कार्रवाई की जा रही है।
एक वर्ष में 48 दिन ही होगा डीएईएसआई प्रशिक्षण
कृषि विभाग के आत्मा द्वारा विक्रेताओं को 48 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार “डीप्लोमा इन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन सर्विस फॉर इनपुट डीलर” प्रशिक्षण एक वर्ष का होगा। जिसके तहत खाद, बीज व रसायनिक उर्वरकों को सप्ताह में एक दिन ही प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण सैद्धांतक व प्रायोगिक तरीके से दिया जाएगा।
गुणवतापूर्ण खेती को ले दिया जाएगा प्रशिक्षण
खाद, बीज व रसायनिक उर्वरक विक्रेताओं में जानकारी के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को फसलों मे प्रयोग किए जाने वाल पोषक तत्व व कीटनाशी का गलत इस्तेमाल करा देते है। जिससे फसलों को नुकसान पहुंच जाता है। ऐसे में किसानों को क्षति उठाना पड़ता है। इसको लेकर सरकार ने खाद, बीज व रसायनिक उर्वरक विक्रेताओं को ही प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। ताकि किसानों को आसानी से फसलों में प्रयोग किए जाने वाले रसायनिक उर्वरक, पोषक तत्व व कीटनाशी दवाओं की जानकारी मिल सके। जानकारी के अनुसार अधिकतर किसान खाद बीज विक्रेताओं के सलाह पर ही फसलों में उर्वरक व कीटनाशी दवा तथा बीज का इस्तेमाल करते है। ऐसे में विक्रेताओं को प्रशिक्षित होने के बाद गुणवतापूर्ण खेती की जा सकती है।
50 फीसद अनुदान पर प्रशिक्षण प्राप्त करने को लेकर 90 खाद-विक्रेता दे चुके है आवेदन
जिले के खाद-बीज विक्रेताओं ने 50 फीसद अनुदान पर “डीप्लोमा इन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन सर्विस फॉर इनपुट डीलर” कोर्स का प्रशिक्षण प्राप्त करने को लेकर आवेदन दिया है। जिन्हें प्रशिक्षित करने को लेकर आत्मा के अधिकारियों ने अभी तक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया है। जिससे अभी तक कोर्स का प्रशिक्षण लंबित है।
डीएईएसआई कोर्स का प्रशिक्षण लेने वाले विक्रेताओं को शुल्क में 50 फीसद मिलेगा अनुदान | कृषि प्रौधोगिकी प्रबंध अभिकरण यानि आत्मा द्वारा आयोजित किये जाने वाले “डीप्लोमा इन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन सर्विस फॉर इनपुट डीलर” कोर्स के प्रशिक्षण के लिए 20 हजार रूपया शुल्क निर्धारित किया गया है। सरकार प्रशिक्षण में भाग लेने वाले खाद, बीज व रसायनिक उर्वरक विक्रेताओं को कोर्स शुल्क में 50 फीसद अनुदान देगी। जिसके तहत विक्रेताओं को महज 10 हजार रूपये कोर्स शुल्क देकर ही डीएईएसआई प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते है। आत्मा के परियोजना उपनिदेशक ने बताया कि कोर्स शुल्क आवेदन के साथ किसी भी बैंक के डीमांड ड्राफ्ट या चेक के माध्यम से लिया जाएगा।