
केंद्र सरकार पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी कैंपों की हलचल दोबारा शुरू होने और पाकिस्तान की ओर से हो रही साजिश के मद्देनजर कश्मीर घाटी में किसी तरह का जोखिम लेने से बच रही है। नजरबंद किए गए मुख्यधारा के नेताओं व अलगाववादियों को सतर्क रणनीति के तहत ही अभी बंद रखा गया है। सरकार नहीं चाहती कि सीमा पार से हो रही साजिश को कश्मीर में किसी भी तरह से बल मिले। अभी एजेंसियों का फोकस उन आम कश्मीरियों पर है जो रोजी-रोटी की चिंता कर रह हैं। आम कश्मीरियों तक पहुंच बनाने और युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों से जोड़ने का अभियान चल रहा है। यूथ इनगेजमेंट कार्यक्रम के तहत पूरे प्रदेश में बड़ा कार्यक्रम चलाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत युवाओं को उनकी पसंद के काम से जोड़ा जाएगा।
गतिविधियों से जोड़ने का प्रयास
अधिकारियों ने कहा कि कला, खेल, पढ़ाई-लिखाई, रोजगार सहित तमाम गतिविविधयों से युवाओं को जोड़ने में सरकाररी एजेंसियां पूरी तरह से मदद को तैयार है। युवाओं को समझाया जा रहा है कि कश्मीर में जो भी कदम उठाए गए हैं उनके बेहतर भविष्य को लेकर उठाए गए हैं। इसलिए वे बहकावे में न आएं। सरकार का मानना है कि युवाओं को जितना व्यस्त रखा जाएगा वे गुमराह करने वाली ताकतों से दूर रहकर देश की मुख्यधारा से जुड़ेंगे।
नजरबंद नेताओं से हमदर्दी नहीं
सूत्रों ने कहा कि आम कश्मीरियों को नजरबंद किए गए नेता व अलगाववादियों से कोई हमदर्दी नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों को मिली रिपोर्ट के मुताबिक नजरबंद नेताओं को इस समय छोड़ा जाता है तो उनकी गतिविधियों का फायदा पाकिस्तान उठा सकता है। इसका असर आम कश्मीरियों पर भी पड़ेगा।
एजेंसियां नेताओं को लेकर आश्वस्त नहीं
पिछले दिनों दूतों के जरिए बंद नेताओं का मन टटोलने का प्रयास किया गया था। लेकिन एजेंसियां अभी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि इनकी रिहाई का घाटी के माहौल पर क्या असर पड़ेगा। एजेंसियों का कहना है कि हालात काफी हद तक नियंत्रण में हैं। लोग सहयोग कर रहे हैं। कुछ इलाकों में समस्या है लेकिन शांत करने का प्रयास किया जा रहा है।
जल्दबाजी में नहीं होगा फैसला
सूत्रों ने कहा कि सरकार कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं करेगी। फैसला जमीनी हालात पर निर्भर होगा। नजरबंद नेताओं की रिहाई पर एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल कुछ कहना संभव नहीं है, क्योंकि कश्मीर में शांति को लेकर सरकार कोई समझौता नहीं करना चाहती। खुफिया रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि नेताओं की रिहाई से अशांति हो सकती है।