
डायबिटीज (मधुमेह) का समय रहते पता लगाना और सही समय पर इलाज बहुत जरूरी है। यह एक घातक बीमारी जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है। दवाओं के साथ ही घरेलू उपाय भी कारगर साबित होते हैं, लेकिन सबसे अहम भूमिका निभाता है मरीज की दृढ़ इच्छा शक्ति। https://www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. अनुराग शाही के अनुसार, ‘सरल जीवनशैली और आहार में परिवर्तन से डायबिटीज को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही व्यायाम इस बीमारी से दूर रहने का रामबाण इलाज है।’
महिलाओं को खासतौर पर ध्यान देने की जरूरत है। जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, ‘जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल का सेवन करती हैं, उनके नवजात शिशु में डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है।’ जानिए टाइप-2 डायबिटीज के इलाज और इससे बचाव के लिए बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में –
टाइप-2 डायबिटीज के कंट्रोल में सबसे जरूरी क्या है
टाइप-2 डायबिटीज या ऐसी किसी भी बीमारी की जड़ में होता है व्यक्ति का ख़राब लाइफस्टाइल। खानपान की गलत आदतें, मोटापा, व्यायाम की कमी, धूम्रपान और तनाव जैसी बुरी आदतें इसका प्रमुख कारण हैं। डॉक्टर अनुराग शाही बताते हैं, ‘शुगर को कंट्रोल करने के लिए सबसे जरूरी है वजन पर नियंत्रण और सही समय पर सही आहार। ब्लड शुगर के लेवल पर नजर बनाए रखें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय पर दवाएं लेते रहें।‘
जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की 9 अक्टूबर 2019 को जारी रिपोर्ट में लिखा गया है, ‘अत्यधिक वजन से डायबिडीज का जोखिम बढ़ जाता है। वहीं 10 फीसदी वजन भी कम कर लिया जाए तो इस बीमारी के लक्षणों से मुक्ति पाई जा सकती है।’
इसी तरह, जर्नल एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडिया ने डायबिटीज के मरीजों के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार, यदि उपवास रखते समय डायबिटीज के मरीजों का ब्लड शुगर लेवल 70 एमजी/डीएल के कम हो जाता है तो उन्हें उपवास तोड़ देना चाहिए।
चीनी और प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट भोजन में वजन बढ़ाने वाले तत्त्वं होते हैं, जिनकी वजह से मधुमेह हो सकता है। इससे बचाने के लिए चीनी की मात्रा बिल्कुल कम कर देनी चाहिए, जिससे रक्त में शर्करा (शुगर) का स्तर बिल्कुगल नियंत्रण में रहे। ज्या दा मीठी चीजें और मीठे पेय पदार्थों का सेवन इन्सुलिन के लेवल को बढ़़ा सकता है।
सिंगापुर में उठाया गया यह बड़ा कदम
सिंगापुर दुनिया का ऐसा पहला देश बन गया है जहां बहुत ज्यादा शुगर वाले ड्रिंक्स के विज्ञापनों पर रोक लगा दी गई है। दरअसल, वहां भी डायबिटीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसे रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। अब वहां कंपनियों को अपने पेय पदार्थों की बोतलों पर पोषक तत्वों और शकर की मात्रा बतानी होगी। जाहिर है ये कोल्ड ड्रिंक्स सेहत के लिए बहुत नुकसान दायक हैं।
टाइप-2 डायबिटीज मरीजों को क्या करना चाहिए
मौजूदा दौर में लोगों की लाइफस्टाइल देखते हुए डॉक्टर सलाह देते हैं कि स्वस्थ्य लोगों को दो से तीन माह में डायबिटीज की जांच करवानी चाहिए। जिन लोगों का वजन बढ़ा हुआ है, उन्हें हफ्ते में एक बार जांच करवानी चाहिए। वहीं डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे दिन में 3 से 4 बार इसका स्तर जांचे।
डायबिटीज मरीजों को नियमित रूप से इन्सुलिन लेना होती है। इन्सुलिन को इन्जेक्शन की मदद से लिया जाता है। कारण – पेट में मौजूद एंजाइम दवा का पूरा असर नहीं होने देते। डायबिटीज को कंट्रोल करने की कई दवाएं भी हैं, जिन्हें टेस्ट और डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लिया जाना चाहिए। डॉक्टर्स द्वारा सामान्य रूप से दी जाने वाली दवाओं के नाम हैं – मेटमोर्फिन, सुल्फनीरूलियस, मेगलिटिनॉइड्स, जीएसपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्टर। टाइप-2 डायबिटीज मरीजों को मेटमोर्फिन दवा सबसे पहले दी जाती है। यह शरीर में इन्सुलिन का इस्तेमाल बढ़ा देती है और लिवर कम ग्लूकोज बनाने लगता है।
टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी भी एक इलाज है। यह सर्जरी उन मरीजों पर होती है, जिनका बॉडी मास इंडेक्स 35 से ज्यादा है। यह एक तरह से पेट की बायपास सर्जरी है।
टाइप-2 डायबिटीज कम करने में मददगार घरेलू चीजें
इसके अलावा खानपान में खास चीजों को शामिल कर इससे बचा जा सकता है। ब्लड में शुगर लेवल को कंट्रोल करने में करेला, मेथी, एलोवेरा, नीबू, ग्रीन टी, लहसुन और पालक का सेवन लाभकारी होता है। इसके साथ ही डायबिटिक पेशेंट्स को चीनी, तली-भुनी चीजें, डेयरी उत्पाद, चाय-कॉफी, तंबाकू, शराब, अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थ जैसे आलू, गाजर, चावल, केला और ब्रेड से परहेज करना चाहिए।
डॉ. अनुराग शाही के शब्दों में, ‘डायबिटीज से इसलिए भी दूर रहना जरूरी है, क्योंकि यह आपकी सेहत पर ही नहीं, जेब पर भी भारी असर डालती है।’ इसलिए स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाएं और इस महामारी से बचकर रहें।