
सुप्रीम कोर्ट के लगभग 1.42 लाख करोड़ रुपये का पिछला सांविधिक बकाया चुकाने के आदेश से मुश्किल में फंसी दूरसंचार कंपनियों को उबारने के लिए अब सरकार खुद आगे आई है। सरकार इस सेक्टर को वित्तीय संकट से निजात दिलाने के उपाय सुझाने के वास्ते कैबिनेट सचिव की अधीन सचिवों की समिति (सीओएस) का गठन करने जा रही है। यह समिति सरकार को इस संबंध में उपाय सुझाएगी।
भले ही इस पैनल के विचारार्थ विषयों में 24 अक्तूबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान टालने के सुझावों पर विचार करने के साथ ही कंपनियों के लिए एक यूनिवर्सल सेवा कोष की बाध्यता पर पुनर्विचार करेन के लिए भी कहा गया है।
सूत्रों ने कहा कि वित्त, दूरसंचार और विधि सहित अन्य मंत्रालयों के सचिवों की मौजूदगी वाली समिति की बैठक जल्द होने का अनुमान है और समिति समयबद्ध तरीके से अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। अदालत के इस फैसले का असर भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया सहित कई कंपनियों पर पड़ने का अनुमान है।
एयरटेल ने टाले दूसरी तिमाही के नतीजे
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 42,000 करोड़ रुपये की देनदारी बनने के बाद भारती एयरटेल ने अपने दूसरी तिमाही के नतीजे 14 नवंबर तक के लिए टाल दिए हैं। साथ ही कंपनी ने इस मसले पर सरकार से सहयोग भी मांगा है। कंपनी के जुलाई-सितंबर तिमाही के नतीजे मंगलवार को जारी होने थे, लेकिन कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को दी सूचना में कहा कि नतीजों की घोषणा 14 नवंबर तक के लिए टाल दी गई है। नोटिस में कहा गया, ‘कुल धनराशि पर स्पष्टता के लिए कंपनी ने दूरसंचार विभाग (डॉट) से संपर्क किया है और सहयोग के लिए अनुरोध किया है।’