श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में गौतबाया राजपक्षे के जीतने पर तमिलनाडु की कई पार्टियों ने चिंता जताई है। राज्य की प्रमुख पार्टियों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से श्रीलंका के ईलम तमिल नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। ईलम तमिल तमिलनाडु के मूल निवासी माने जाते हैं। ये लोग दशकों पहले श्रीलंका पलायन कर गए थे।
श्रीलंका में 2009 में सिविल वॉर में भारी संख्या में ईलम तमिल मारे गए थे। तब देश के रक्षा मंत्री गौतबाया ही थे। तमिलनाडु की पार्टियां गौतबाया पर अंतरराष्ट्रीय न्यायलय में नरसंहार और युद्ध अपराध का मामला चलाने की मांग करती रही हैं।
द्रमुक और इसकी सहयोगी पार्टियों एमडीएमके, विदुतलै चिरुतैगल कच्चि और सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की सहयोगी पीएमके ने मोदी से श्रीलंका के तमिलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। 17 नवंबर को श्रीलंका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में गौतबाया ने स्पष्ट बहुमत के साथ जीत प्राप्त की। गौतबाया श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं।
2009 में श्रीलंका ने ईलम तमिल का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन लिबरेशन ऑफ तमिल टाइगर्स इलम (एलटीटीई) के विरुद्ध अभियान छेड़ा था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में एलटीटीई की भूमिका थी। इसे देखते हुए भारत ने श्रीलंका की मदद के लिए सैनिक भेजे थे। एलटीटीई प्रमुख प्रभाकरण को मारने के बाद श्रीलंका ने इस अभियान के पूरा होने की घोषणा की थी। इस पर्यंत श्रीलंका की हवाई बमबारी से हजारों लोगों की मृत्यु हुई थी। इसकी तस्वीरें भी सामने आई थी। श्रीलंका की सेना पर बेगुनाह लोगों, औरतों और बच्चों की हत्या करने के आरोप लगे थे।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भी श्रीलंका के तमिलों के मानवाधिकार उल्लंघन का मामला उठाया जा चुका है। एमडीएमडी के नेता वाइको और पीएमके के एस रामदास श्रीलंका में अलग तमिल राष्ट्र के समर्थक रहे हैं। तमिलनाडु की दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने भी गौतबाया पर युद्ध अपराध और तमिलों के नरसंहार के लिए कार्रवाई करने की मांग की थी।