पूर्णिया- तीन तलाक को लेकर पूर्णिया में एक अलग मामला सामने आया है। पूर्णिया के श्रीनगर की एक महिला को पति ने गुस्से में तलाक दे दिया। अब पत्नी के साथ रहने की फरियाद कर रहा है और पत्नी का कहना है कि हदीस के मुताबिक वह साथ नहीं रह सकती। हालांकि यह मामला राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पास होने के पहले का है। 26 जुलाई को इस मामले की पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र में सुनवाई हुई। मामला नहीं सुलझने पर अब अदालत जाने की सलाह दी गई है।
कसबा के रहने वाले मजदूर पति ने अपनी पत्नी को साथ रखने के लिए पंचायत भी बुलाई, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका। जब पति अपनी पत्नी को साथ ले जाने के लिए दबाव बनाने लगे तो उनके साथ मारपीट भी की गई। अब पति ने एसपी को आवेदन देकर पत्नी को साथ रखने की गुहार लगाई है। एसपी ने मामले को पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र में भेज दिया। केन्द्र में मामले की सुनवाई में महिला को समझाने का काफी प्रयास किया गया। लेकिन, वह मानने को तैयार नहीं हुई।
विवाद का कारण
पति ने बाहर मजदूरी कर 55000 हजार बेटी की शादी के लिए जमा किए थे। वह पत्नी को रुपए देकर फिर कमाने बाहर चला गया। वापस आने पर जब पैसे मांगे तो पत्नी ने बताया कि उसने किसी रिश्तेदार को रुपए दे दिए हैं। फिर पंचायती कर रिश्तेदार से किसी तरह 40000 हजार वसूले गए और बेटी की शादी हुई। इसके बाद पति गांव में मजदूरी करने लगा। इस बीच 25000 हजार जमाकर पत्नी को दिया और फिर कमाने बाहर चला गया। जब वापस आया तो पैसे मांगने पर पत्नी कोई भी जवाब नहीं दे रही थी। इसी पर पति ने थप्पड़ मारे। और तलाक हो गया।
अधिवक्ता ने कहा-बिना हलाला पत्नी अपने पति के साथ नहीं रह सकती
पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र के वरीय सदस्य अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक व जीनत रहमान ने बताया कि सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुना गया। पति ने बताया कि मैं गुस्से में था, अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। इसलिए उसे अपने साथ रखना चाहता हूं। मेरे छह बच्चे हैं। लेकिन, पत्नी बोली-हदीस के मुताबिक मैं साथ नहीं रह सकती। महिला के साथ उनके सनबाप (रिश्तेदार) भी थे, उन्होंने भी हदीस की चर्चा कर उनके साथ नहीं जाने की बात कही। अधिवक्ता श्री दीपक ने बताया कि तीन तलाक के बाद हलाला की प्रथा है। बिना हलाला पत्नी अपने पति के साथ नहीं रह सकती। पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र में महिला व उनके रिश्तेदारों को केंद्र के सदस्यों ने काफी समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र ने सक्षम न्यायालय में जाने की सलाह दी।