
पटना का विश्व प्रसिद्ध बिहार म्यूजियम देसी पर्यटकों के साथ विदेशी पर्यटकों को भी खूब भा रहा है। म्यूजियम का सौंदर्य और ऐतिहासिक घरोहर पर्यटकों को अपनी ओर खींच रही है। बिहार म्यूजियम में हर साल करीबन साढ़े तीन लाख पर्यटक आ रहे हैं। इसमें विदेशी पर्यटकों की संख्या 40 से 50 हजार रहती है।
पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। म्यूजियम में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 85 करोड़ की लागत से नौ गैलरियां विकसित हो रही हैं। भवन निर्माण विभाग यह कार्य कर रहा है। पहले से बिहारी संतती, बुद्ध भ्रमण आंगन, ऐतिहासिक कला, अस्थाई प्रदर्शनी, अतीत का अध्ययन, अध्ययन केंद्र, चिल्ड्रेन गैलरी तैयार हो चुकी है। अब गैलरी सी, जी और ए विकसित की जा रही हैं। इस गैलरी में कैमूर की साढ़े छह सौ फुट ऊंची पहाड़ी पर माता मुंडेश्वरी मंदिर का दर्शन तो शेरशाह सूरी मकबरा, पटना साहिब का गुरुद्वारा, मनेर शरीफ की दरगाह और बोधिवृक्ष की अद्भूत प्रतिकृतियां देखने को मिलेगी।
इटली, जर्मनी और चीन के कलाकार आकर इसे मूर्तरूप देने में लगे हैं। पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र होगा। बिहार म्यूजियम और पटना म्यूजियम को 1300 मीटर लंबी सुरंग से आपस में जोड़ने की योजना है।
पटना म्यूजियम होगा विकसित
नवनिर्मित बिहार म्यूजियम की तुलना में पटना म्यूजियम कम पर्यटक पहुंच रहे हैं। 2015 में बिहार म्यूजियम खुलने के बाद पटना म्यूजियम में पर्यटकों की संख्या कम हुई है। 2015 के पहले पटना म्यूजियम में सालाना चार से पांच लाख पर्यटक आते थे, वह 2015 के बाद घटकर 1 लाख पर आ पहुंचा है। इसलिए पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए बिहार म्यूजियम की तरह पटना म्यूजियम को भी विकसित करने की योजना है।
17 दीर्घाओं में बिहार की विरासत दिखती
पटना म्यूजियम में बिहार की समृद्ध विरासत की झलक देखनो को मिलती है। वर्तमान में यहां कुल 17 दीर्घाएं हैं, जिनमें पुरावशेषों एवं कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। इनमें प्रस्तर प्रतिमा, मृणा मूतियां, अभिलेख, कांस्य प्रतिमा, चित्रकला, प्राकृतिक इतिहास, अस्त्र-शस्त्र, डेनियल प्रिंट, साज-सज्जा, खनिज प्रस्तर, महापंडित राहुल सांकृत्यायन की सामग्री, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की सामग्री के साथ भगवान बुद्ध के अस्थि कलश को प्रदर्शित किया गया है।
बिहार म्यूजियम की नौ गैलरियों को विकसित किया जा रहा है। ये गैलरी 85 करोड़ की लागत से तैयार हो रही हैं। इनमें आकर्षक प्रतिकृतियों और ऐतिहासिक धरोहरों को प्रदर्शित किया जा रहा है।
– विनोद चौधरी, कार्यपालक अभियंता, भवन निर्माण विभाग