बिहार की जेलों में एड्स के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। चार हजार बंदियों की अभी तक हुई जांच में दो फीसद अर्थात् 89 एचआइवी संक्रमित पाए गए हैं। अभी तक के जांच परिणाम को देखते हुए राज्य की सभी 59 जेलों में बंद कुल 38 हजार बंदियों में एचआइवी संक्रमण का आंकड़ा चिंताजनक स्थिति दर्शाता है।
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के अनुसार बिहार की जेलों में एचआइवी अन्य रक्त संक्रमण संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय के मानकों से अधिक हैं। सोसायटी के अनुसार बिहार की जेलों में अभी तक कुल 4010 कैदियों की रक्त जांच की गई है, जिनमें 89 एचआइवी संक्रमित पाए गए हैं।
जांचोपरांत 122 कैदियों में यक्षमा के संक्रमण भी पाए गए है।
जेल अधिकारी मानते हैं कि जेलों में एचआइवी संक्रमण का बड़ा कारण ड्रग्स का सेवन है। एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने बताया कि बिहार में कैदियों की बड़ी संख्या मादक पदार्थों की आदी है, लेकिन वे जेल के अंदर इनके सेवन की आशंका को नकारते हैं। उनके अनुसार, संभव है कि जेल जाने के पहले उन्होंने संक्रमित सिरिंज से नशे का इंजेक्शन लिया हो।
बिहार की जेलों में नशीले पदार्थों की बरामदगी होती रही है। ऐसे में संभव है कि जेलों के अंदर एक ही सिरिंज से कई कैदियों ने नशे के इंजेक्शन लिए हों। बिहार की जेलों में धन के बल पर अवैध कार्य की छूट देने का लंबा इतिहास रहा है। ऐसे में वहां एचआइवी संक्रमण के लिए उत्तरदायी लिप्त भ्रष्टाचार के पहलु की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
विदित हो कि बिहार में एचआइवी संक्रमण की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश के कुल 2.14 मिलियन एचआइवी संक्रमित लोगों में बिहार से 1.15 लाख लोग सम्मिलित हैं।