
बिहार के छपरा में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना घटी है। यहां एक नाबालिग लड़की के साथ दरिंदों ने पहले सामूहिक दुष्कर्म किया। इसके बाद भी जब उनका मन नहीं भरा तो हैवानियत की हदें पार करते हुए उसके निजी अंग में लोहे की रॉड डाल दी।पीड़िता की मुसीबतें यहीं पर खत्म नहीं हुई। जब उसे इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) लाया गया तो वहां मौजूद डॉक्टरों ने बुरी तरह जख्मी लड़की का इलाज तब तक करने से मना कर दिया जब तक कि उन्हें एफआईआर की कॉपी नहीं मिल जाती।
बिहार की इस बर्बरतापूर्ण घटना पर निर्भया की मां ने अपनी संवेदना जाहिर की है। सारण के पुलिस अधीक्षक ने सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई लड़की के निजी अंग में रॉड डाले जाने की घटना से इनकार किया है। जानकारी के अनुसार नाबालिक के साथ पहले सामूहिक दुष्कर्म किया गया इसके बाद दरिंदों ने उसके निजी अंग में लोहे की रॉड डाल दी। लड़की जब अपने घर पहुंची तो वह अचेत हो गई।
बेहोशी की हालत में परिवारवालों ने उसे छपरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया। यहां उसकी हालत देखकर डॉक्टरों ने उसे पीएमसीएच भेज दिया। इस दौरान पुलिस एफआईआर करने की औपचारिकताओं में जुटी रही। लड़की जब पीएमसीएच पहुंची को डॉक्टरों ने उसका तुरंत इलाज करने से मना कर दिया। वह इलाज से पहले एफआईआर की कॉपी को लेकर अड़ गए।
परिवारवालों ने उनसे अनुरोध करते हुए कहा कि एफआईआर की कॉपी आ जाएगी आप इलाज शुरू कीजिए लेकिन वह नहीं माने। बाद में जब मामले की जानकारी मीडिया को हुई तो डॉक्टरों को उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देश याद आए और उन्होंने पीड़िता का इलाज शुरू किया।
उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देश के अनुसार दुर्घटना या अपराध के ममालों में डॉक्टरों को तुरंत इलाज शुरू करना है। पुलिस की औपचारिकताएं पूरी होने के नाम पर इलाज को नहीं रोका जा सकता। मगर इस मामले में डॉक्टरों ने तीन घंटे तक पीड़िता का इलाज नहीं किया। हालांकि दबाव बढ़ने पर इलाज शुरू किया गया।
वहीं सारण के पुलिस अधीक्षक हर किशोर राय ने लड़की से सामूहिक दुष्कर्म की बात तो स्वीकार की है लेकिन उन्होंने निजी अंग में रॉड डाले की घटना को खारिज किया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने दो आरोपियों सोनू और आतिश को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं तीसरे आरोपी आइटीबीपी जवान की तलाश जारी है। पुलिस ने घटनास्थल की जांच के लिए फोरेंसिक टीम को बुलाया है।