
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने बुधवार (23 अक्टूबर) को बीसीसीआई के नए अध्यक्ष सौरभ गांगुली को उनका पदभार सौंप दिया है। खन्ना ने गांगुली को उनका पदभार सौंपते हुये उन्हें बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर बीसीसीआई के नए सचिव जय शाह और कोषाध्यक्ष अरूण सिंह धूमल भी मौजूद थे।
सीके खन्ना ने गांगुली को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा,“ वह भारत के सबसे सफल क्रिकेटरों और कप्तानों में से एक रहे हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और क्रिकेट कौशल का अनुभव उनकी नई पारी में काम आएगा और उनकी अगुवाई में भारतीय क्रिकेट नई ऊंचाइयों को छुएगा।”
हालांकि, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के सामने नौ महीने के कार्यकाल में कई चुनौतियां होंगी। इनमें से प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं।
- आईसीसी में भारत की स्थिति :
यह किसी से छिपा नहीं है कि आईसीसी में भारत का रूतबा घटा है और आईसीसी के नये कार्यसमूह में बीसीसीआई का कोई प्रतिनिधि नहीं है। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के विश्वासपात्र सुंदर रमन द्वारा तैयार किये गए ‘बिग थ्री माडल (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत) के तहत भारत को आईसीसी के राजस्व आवंटन मॉडल में से 57 करोड़ डॉलर मिलने थे।
शशांक मनोहर के आने के बाद हालांकि भारत बिग थ्री मॉडल पर सहमति नहीं बना सका और उसे 2016-2023 सत्र के लिए 29 करोड़ 30 लाख डॉलर से ही संतोष करना पड़ा जो इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड से 15 करोड़ अधिक है। सौरव गांगुली को बीसीसीआई प्रतिनिधि के तौर पर आईसीसी से बात करनी होगी। बोर्ड को 40 करोड़ डॉलर मिल सकते हैं। गांगुली ने प्रेस कांफ्रेंस में भी 37 करोड़ 20 लाख डॉलर मिलने की बात कही। वैसे अगर एन श्रीनिवासन या सुंदर रमन बीसीसीआई प्रतिनिधि के तौर पर आईसीसी में जाते हैं और बीसीसीआई के पास मत नहीं होते तो टकराव की स्थिति बन सकती है।
- टी20 विश्व कप 2016 और भावी आईसीसी टूर्नामेंटों को भारत में कर छूट :
सौरव गांगुली को बीसीसीआई की कानूनी और वित्तीय टीमों से पूरा सहयोग चाहिए होगा क्योंकि आईसीसी भारत में सभी टूर्नामेंटों के लिए कर में छूट चाहती है। मनोहर ने यह भी चेतावनी दी है कि करों का सारा बोझ बीसीसीआई के सालाना राजस्व पर पड़ेगा। इसका हल यह निकल सकता है कि आईसीसी के प्रसारक स्टार स्पोटर्स को कर का बोझ वहन करने को कहा जाएगा जिसका भारत में पूरा बुनियादी ढांचा है और उसे प्रोडक्शन उपकरण आयात नहीं करने होंगे। - घरेलू क्रिकेटरों को भुगतान :
भारतीय क्रिकेट के बरसों पुराने इस मसले को गांगुली ने प्राथमिकता बताया है। फिलहाल प्रथम श्रेणी क्रिकेटर को एक लाख 40 हजार रुपए प्रति मैच मिलता है। सत्र के आखिर में बीसीसीआई अपने सालाना सकल राजस्व का 13 प्रतिशत भी उन्हें बांटता है। एक सत्र में एक घरेलू क्रिकेटर को 25 लाख रुपए मिल जाते हैं तो चार दिवसीय, लिस्ट ए और टी20 मैच खेलता है। अंतराष्ट्रीय क्रिकेटरों की कमाई कहीं ज्यादा है। उन्हें एक टेस्ट के 15 लाख रुपए, वनडे के आठ लाख और टी20 के चार लाख रुपए मिलते हैं। इसके अलावा 20 क्रिकेटरों के सालाना केंद्रीय अनुबंध भी हैं। - घरेलू ढांचा : देवधर ट्रॉफी, रणजी ट्रॉफी का ढांचा और अंपायरिंग का स्तर। टूर्नामेंटों की संख्या में कटौती और प्रथम श्रेणी क्रिकेट के लिए बेहतर पिचें।
- हितों का टकराव : गांगुली खुद इसके भुक्तभोगी रहे हैं और अपने साथियों सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को भी इस विवाद का सामना करते देखा है। इस नियम के तहत एक व्यक्ति एक ही पद संभाल सकता है। इससे क्रिकेट सलाहकार समिति और राष्ट्रीय चयन समिति में अच्छे क्रिकेटरों को लाने के विकल्प कम हो जायेंगे।