अदालत ने कहा- सभी दोषियों पर 275 लाख का जुर्माना पीड़ित परिवार को मिलेगा 12 लाख रुपए मुआवजा न्यायलय को बताई थी पूरी कहानी, कहा- पापा चिल्लाए तो जगी, भाई की आंखें भी निकाल ली थी बदमाशों ने
भागलपुर झंडापुर थाना क्षेत्र के एक गांव में दो साल पहले 25 नवंबर 2017 की आधी रात को एक ही परिवार के तीन लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हुई हत्या और घर की एकमात्र बची नाबालिग छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में बुधवार को पॉक्सो न्यायलय ने चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
13 पेज के जजमेंट आर्डर में स्पेशल जज विनोद कुमार तिवारी ने घटना की क्रूरता देखकर चारों दोष सिद्ध अभियुक्तों क्रमश: बलराम राय उर्फ बाले राय (25), मोहन सिंह (58), कन्हैया झा उर्फ रोहित (26) और मो महबूबा (25) को जिंदा रहने तक जेल में ही रहने का आदेश दिया है। यानी जेल में मरने के बाद ही उसके शरीर को बाहर लाया जाएगा।
कोर्ट ने कुल दस धाराओं में सजा सुनाई। सरकार की ओर से पॉक्सो के स्पेशल पीपी शंकर जयकिशन मंडल ने बहस की। उन्होंने बताया कि न्यायलय ने दस धाराओं में सजा के साथ-साथ सभी अभियुक्तों को दो लाख 75 हजार रुपए जुर्माना भी जमा करने को कहा है। यह राशि पीड़िता के परिवार को दी जाएगी। साथ ही प्रशासन को भी पीड़िता के परिवार को मुआवजे के रूप में एक लाख रुपये देने का आदेश दिया गया है। इधर, आरोपियों के परिजनों ने बताया कि निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायलय में अपील करेंगे।
पीड़िता ने न्यायलय में आरोपियों की पहचान की पीपी ने बताया कि घटना की प्राथमिकी 26 नवंबर 2017 को पीड़िता के बड़े भाई ने दर्ज कराई थी। पहले यह केस अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध दर्ज कराया गया था। घटना की एकमात्र चश्मदीद पीड़िता के कोमा में चले जाने के बाद उसका उपचार पटना में सरकारी देखरेख में कराया गया था। उपचार के बाद स्वस्थ होकर लौटी पीड़िता ने बयान में आरोपियों के नामों का खुलासा किया और ट्रायल के समय चारों आरोपियों की पहचान भी की।
पांच फरवरी 2018 को इस केस में पुलिस ने चारों आरोपियों पर आरोप पत्र दाखिल किया था। 22 मई 2018 को न्यायलय में आरोपियों पर आरोप का गठन हुआ था। सात नवंबर को न्यायलय ने सभी आरोपियों को दोषी पाया था। इस केस के एक आरोपी अमन झा का अलग से न्यायलय में ट्रायल चल रहा है। स्पेशल पीपी ने बताया कि अभियोजन की ओर से कुल 14 की गवाही कराई गई थी। जिसमें केस के सूचक के अतिरिक्त, पीड़िता, उसके परिजन, पटना से आए पीएमसीएच के डॉक्टर, केस के आईओ जवाहरलाल सिंह आदि की गवाही सम्मिलित थी।
नाबालिग का बयान ही बना उम्रकैद की सजा का आधार नाबालिग के साथ गैंगरेप व ट्रिपल मर्डर के दो साल पुराने मुकदमे में यूं तो 14 लोगों की गवाही हुई। लेकिन उम्रकैद की सजा का आधार पीड़िता की गवाही रही, जो वारदात की चश्मदीद थी। उसने अपने बयान में कहा था कि ये घटना 25 तारीख की रात की थी। उसका बयान न्यायलय में नौ जुलाई 2018 को हुआ था। बयान में उसने पूरे वारदात की परत दर परत का खुलासा किया था। वह इस मुकदमे में गवाह नंबर पांच थी। उसने बयान में कहा था कि मेरे पापा को मोहन, बालो, महबूबा एवं कन्हैया आकर रात 12 से एक के बीच मारने लगे। उस समय मैं घर में थी।
मोहन ने मां-पिता के माथे पर मारी थी कुल्हाड़ी ये लोग यानी आरोपी कुल्हाड़ी से पापा को मार रहे थे। मोहन कुल्हाड़ी लिए हुए था। माथे पर पापा को कुल्हाड़ी से मारा। पापा बेहोश हो गए। वे चिल्लाने लगे। उनके चिल्लाने की आवाज सुनकर मैं जग गई। मेरे घर में महबूबा, मोहन, बलवा, कन्हैया तथा अमना घुसे थे। दो-तीन लोग और थे जो मुंह पर कपड़ा बांधे थे। मोहन और बलवा तथा कन्हैया ने मम्मी को पकड़ लिया। बलवा उनके एक पैर पर चढ़ा तो कन्हैया दूसरे पैर पर चढ़ गया। मोहन उनका पैर दाबा हुआ था। मोहन ने मम्मी के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया। बाले के हाथ से चाकू लेकर मोहन ने मेरी मां का माथा फाड़ दिया। मां बेहोश हो गई। तभी वहां पर भाई आ गया। उसे अमना ने उठाकर पटक दिया। बलवा ने उसके माथे पर कुल्हाड़ी से मारा।
महबूबा ने भाई की दोनों आंखें निकाल ली, गुप्तांग भी काट दिया महबूबा ने कन्हैया के हाथ से चाकू लेकर भाई की दोनों आंखें एक-एक कर निकाल ली। महबूबा ने चाकू से भाई का नाक काट दिया जो कटकर लटक रहा था। महबूबा ने भाई का गुप्तांग भी काट दिया तथा जांघ में चाकू घोप दिया। भाई भी बेहोश हो गया। इसके बाद मोहन मेरे पास आया और मेरा हाथ पकड़ लिया। फिर मुझे दो-तीन मुक्का बलवा ने मेरे चेहरे पर मारा। मोहना, कन्हैया, बाले व महबूबा ने मिलकर मेरे दोनों गाल पकड़ लिए। सभी ने मेरे कपड़े उतार दिए। कपड़े को मुंह में ठूंस दिया। कोने में ले जाकर सभी ने बारी-बारी से मेरे साथ रेप किया। इसके बाद मेरे कान में चाकू घोप दिया और कन्हैया ने पीछे से माथे पर कुल्हाड़ी से मार दिया। मैं बेहोश होकर गिर गई। मुझे पटना में होश आया। वहां पर मुझे पता चला कि मेरे पापा, मम्मी और भाई की मृत्यु हो गई है। मोहन, कन्हैया, बाले व महबूबा तथा अमना ये सभी मिलकर मेरे पापा से एक लाख रुपये की मांग कर रहे थे। पिता के साथ मारपीट भी किया गया था। मेरा उपचार पीएमसीएच में 25 दिन तक चला था। पीड़िता का पुलिस ने पहले बयान लिया था। बाद में उसका न्यायलय में भी बयान हुआ था।
जज ने तीन मिनट में सुनाया फैसला जज ने तीन मिनट में निर्णय सुनाया। एडीजे वन सह पॉक्सो के स्पेशल पीपी विनोद कुमार तिवारी बुधवार को 12:10 में न्यायलय आए। उनके सामने सभी अभियुक्तों को लाया गया। 12:15 से बहस आरम्न्भ हुई जो सवा एक बजे तक चली। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जज अपने चैंबर में चले गए। निर्णय को उन्होंने नए सिरे से पढ़ा और पौने दो बजे महज तीन मिनट सभी धाराओं में दी गई सजा सुना दी।