
सुप्रीम कोर्ट के दूरसंचार कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के तहत सरकार को 1.3 लाख करोड़ रुपये चुकाने के आदेश से जहां सेक्टर की कई दिग्गज कंपनियां संकट में फंस गई हैं, वहीं वोडाफोन के भविष्य पर ही सवाल उठने लगे हैं। ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन ने भारत सरकार से कहा कि प्रावधानों में बदलाव होने तक वोडाफोन भारत में कोई पूंजी नहीं लगाएगी। कंपनी ने भारत में हो रहे बदलावों को ‘विनाशकारी और भारत में वोडाफोन के बड़े दांव को आखिरी मुकाम’ तक पहुंचाने वाला बताया। ब्रिटेन के मीडिया ने इसे वोडाफोन की
भारत सरकार को चेतावनी करार दिया है।
वोडाफोन ने भारतीय अधिकारियों से कहा कि जब तक उसे मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो के साथ प्रतिस्पर्धा का मौका नहीं दिया जाता है, वह अपने भारतीय कारोबार में कोई नई पूंजी नहीं लगाएगी। ब्रिटेन की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वोडाफोन के सीईओ निक रीड ने सभी व्यावहारिक उद्देश्यों से भारत को सरकार को चेतावनी दे दी है। रीड की चेतावनी से सरकार को अवगत करा दिया गया है।
2007 में भारत में रखे थे कदम
वोडाफोन ने वर्ष 2007 में अरबों पाउंड से अधिग्रहण के साथ भारतीय बाजार में कदम रखे थे। तब से अब तक कंपनी भारत में अरबों डॉलर लगा चुकी है और हमेशा से ही उम्मीद करती रही है कि एक दिन उसे भारतीय बाजार से अच्छा रिटर्न मिलेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भले ही भारतीय अधिकारियों ने वोडाफोन का शानदार स्वागत किया था, लेकिन आगाज के बाद से ही वह राजनेताओं और कर अधिकारियों के लिए आसान टारगेट बनी हुई है। उसके निवेश की वैल्यू लगभग खत्म हो चुकी है।’
यूके में कर्ज के बोझ से दबी है वोडाफोन
वोडाफोन भारत में उसके खिलाफ और रिलायंस जियो के पक्ष में हुए कई नीतिगत फैसलों से खासी नाखुश है। कंपनी के शेयरधारक वोडाफोन आइडिया के मूल्य को पहले ही बट्टे खाते में डाल चुके हैं और यदि कंपनी बंद हो जाती है तो इसे आसानी से स्वीकार किया जाना चाहिए। वोडाफोन अपने घरेलू बाजार यूके में भी भारी कर्ज के बोझ से दबी हुई है और उसके लिए भारत में अतिरिक्त निवेश करना खासा मुश्किल होगा।
सरकार से मांगा था राहत पैकेज
वोडाफोन ने सरकार से स्पेक्ट्रम भुगतान के लिए दो साल का वक्त, लाइसेंस शुल्क में, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ब्याज और जुर्माने में छूट सहित एक राहत पैकेज की मांग की थी। वोडाफोन दुनिया की दूसरी बड़ी मोबाइल ऑपरेटर है और स्पेन व इटली में सुधार के संकेतों से उसके राजस्व में लगातार सुधार हो रहा है। कैलेंडर वर्ष 2019 की पहली छमाही में उसके सेवा राजस्व में 0.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। वहीं कंपनी ने मुश्किल दौर को देखते हुए पहली बार मई में अपने लाभांश में कटौती की थी।