मुंह के कैंसर का पता लगाने के लिए अब मरीज को बायप्सी जैसी दर्दनाक विधि से नहीं गुजरना होगा। नई मशीन से सिर्फ आप्टिकल तकनीक के जरिये इसका पता लगाया जा सकेगा। यह मशीन परमाणु उर्जा विभाग की अोर से इंदौर के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने सोमवार को लहरतारा स्थित होमी भाभा कैंसर अस्पताल को सौंपी। इसके अलावा ट्यूबरकुलोसिस की जांच के लिए भी एक मशीन दी गयी है।
इंदौर से वैज्ञानिकों डॉ. शोभन मजुमदार, विजय द्विवेदी और हेमंत कृष्णा ने मशीनों के बारे में जानकारी दी। टाटा मेमोरियल सेंटर के डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि ये जांच मशीनें गांव तक ले जाई जा सकेंगी। निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने बताया कि यह देश का पहला कैंसर संस्थान है, जिसे ये उपकरण मिले हैं। प्रधानमंत्री के 100 डेज एजेंडा के तहत ये उपकरण नि:शुल्क भेंट है। इस मौके पर डॉ. राकेश मित्तल, आरपी जायसवाल मौजूद रहे। दोनों मशीनें डाक्टर शोभन मजुमदार की टीम ने तैयार की है।
हरे, लाल और नारंगी रंग से कैंसर की जानकारी होगी
ओंकोडाइग्नोस्कोप से किसी भी कैंसर की स्थिति का पता लगा सकेगा। डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि लैपटॉप से संचालित इस उपकरण के लेजर ऑप्टिकल को मुंह के छाले के पास ले जाने पर स्क्रीन पर तीन रंग में से कोई एक जलेगा। अगर हरा रंग जलता है तो कैंसर नहीं है। नारंगी रंग पर कैंसर हो सकता है। लाल निशान होने पर कैंसर होने का संकेत होगा। 15 साल रिसर्च के बाद यह मशीन तैयार की गई है।
टीबी के बैक्टीरिया की संख्या का तत्काल पता चलेगा
वाराणसी। डॉ. शोभन मजुमदार ने बताया कि ट्यूबरकुलोस्कोप भी लैपटॉप की मदद से संचालित होगा। इसमें मरीज के बलगम को स्लाइड पर रखकर स्कैन कर बैक्टीरिया की संख्या का पता तत्काल चल जायेगा। इससे तुरंत दवा शुरू की जा सकेगी।
पूर्वांचल में सबसे अधिक मिले मुंह के कैंसर
वाराणसी। डॉ. सत्यजीत प्रधान ने बताया कि दो साल से कैंसर अस्पताल की 13 सदस्यीय टीम वाराणसी समेत आसपास के जिलों में पापुलेशन बेस्ड कैंसर स्क्रीनिंग कर रही है। अब तक सबसे अधिक मरीज यहां से मुंह के कैंसर के मिले हैं। इसका प्रमुख कारण तंबाकू का सेवन है।