
अगले एक साल में डाक्टरों की रिक्तियों को भरने के लिए मेडिकल कॉलेज कैम्पस से सीधे नियुक्तियां की जाएंगी। बिहार में डॉक्टरों,नर्सों और पारा मेडिकल स्टाफ की भारी कमी इसलिए है कि 2005 के पहले की सरकारों ने सरकारी क्षेत्र में एक भी नया मेडिकल, नर्सिंग कॉलेज नहीं खोला। वर्तमान एनडीए सरकार 11 नए मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है। इस अकादमिक सत्र से बिहार के मेडिकल कॉलेजों में लगभग 1400 छात्रों का नामांकन होगा। ये बातें उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कही।
इंडियन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी’ के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन के बाद श्री मोदी ने कहा कि पूर्णिया में 365 करोड़ की लागत से 300 बेड का, छपरा में 425 करोड़ की लागत से 500 बेड का, मधेपुरा में 781 करोड़ तथा बेतिया में 775 करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज व अस्पताल निर्माणाधीन है। वैशाली, बेगूसराय, सीतामढ़ी, झंझारपुर और बक्सर में मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के निर्माण के लिए टेंडर हो चुका है। कटिहार, किशनगंज व रोहतास में निजी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज संचालित है। निजी क्षेत्र के अन्तर्गत सहरसा में 100 सीट और मधुबनी में 140 सीट के मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति मिल चुकी है।
आईजीआईएमएस के साथ हर मेडिकल कॉलेज में बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई प्रारंभ करने के निर्णय के साथ ही हर जिले में जीएनएम और अनुमंडल स्तर पर एएनएम स्कूल खोल कर अधिकांश जगहों पर पढ़ाई शुरू कर दी गई है। इस मौके पर आईसीसी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.बीसी श्रीनिवासन, कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑाफ इंडिया के डॉ.एनके दास, आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ.एनआर विश्वास, पटना एम्स के निदेशक डॉ.पीके सिंह, आईजीआईसी के निदेशक डॉ.एसएस चटर्जी, आईसीसी बिहार के अध्यक्ष डॉ.बीपी सिंह, आर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ.प्रभात कुमार, डॉ.अरविंद कुमार और सचिव डॉ.एके झा उपस्थित थे।