
मिर्गी के रोगी को दौरा पड़े तो उसे करवट करके लिटा दें। उसे जूता या चप्पल नहीं सुंघाने चाहिए। यह कहना है दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता का।
17 नवंबर को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय मिर्गी दिवस की पूर्व संध्या पर ‘अमर उजाला’ ने दिल्ली के विशेषज्ञों से बातचीत की। इस दौरान डॉ. गुप्ता ने बताया कि 90 फीसदी दौरे 2 मिनट के होते हैं। दौरा 5 मिनट से ज्यादा का है तो नाक के जरिये दवा दी जाती है। मुंह के जरिए कुछ भी नहीं देना चाहिए। 5 मिनट से ज्यादा के दौरे की स्थिति में मरीज को अस्पताल ले जाना चाहिए।
मिर्गी का रोगी महज आधे घंटे में ठीक हो जाता है। इन रोगियों को नौकरी से निकालना या समाज में भेदभाव करना गलत है। बत्रा अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. संजीव कुमार के मुताबिक, दुनियाभर में मिर्गी के रोगियों में से करीब 16 प्रतिशत भारत में हैं। इनकी संख्या करीब 1.20 करोड़ है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के न्यूरो विभाग की प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि मिर्गी के उपचार एवं जांच की सुविधाएं उपलब्ध हैं। हालांकि इनके बाद भी मिर्गी के अनेक मामलों का पता ही नहीं चलता। उनकी जांच गलत होती है। ऐसे मरीज अप्रशिक्षित चिकित्सक के पास पहुंचते हैं। ये वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के होते हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि 15 से 50 साल के लोगों में मिर्गी का सबसे आम कारण न्यूरोसाइटिस्टेरोसिस है। यह अक्सर संक्रमित पोर्क या बिना धोई गई भूमिगत सब्जियां खाने के कारण होती है। सबसे आम प्रकार की मिर्गी कम उम्र में होती है और इसके कारण आनुवांशिक हैं। दूसरे प्रकार की मिर्गी अचानक होती है।
हालांकि इसका पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता, लेकिन मधुमेह और उच्च रक्तचाप की तरह इसका समुचित प्रबंधन किया जा सकता है। डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि मिर्गी के रोगियों को उपचार एक बड़ी चुनौती बन चुका है। इसलिए दिल्ली एम्स विदेशी विशेषज्ञों से लगातार संपर्क में है। हाल ही में फ्रांस के दो विश्वविख्यात विशेषज्ञों ने दिल्ली एम्स आकर कुछ केसों पर टीम का मार्गदर्शन भी किया है।
भारत में अलग है मिर्गी रोग
डॉ. संजीव कुमार के अनुसार, दुनियाभर में मिर्गी का सामान्य कारण सिर में चोट लगना है, जबकि भारत में इसका प्रमुख कारण न्यूरोसाइस्टिसरोसिस (तंत्रिका तंत्र का परजीवी रोग) है। माइग्रेन, स्ट्रोक और अल्जाइमर के बाद यह सबसे आम न्यूरोलॉजिकल रोगों में से एक है। मिर्गी के रोगियों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवाई लेनी चाहिए। पर्याप्त व्यायाम, स्वस्थ आहार का ध्यान रख पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।
मिर्गी आने पर यह करें
डॉ. नितिन गुप्ता ने बताया कि परिवार में कोई मिर्गी रोगी है तो उसके दौरे की अवधि देखना जरूरी है। गंभीर स्थिति या ज्यादा अवधि के दौरे पर ही रोगी को अस्पताल में दिखाने की स्थिति बनती है। मिर्गी आने पर मरीज को जमीन पर या समतल स्थान पर करवट से लिटा दें या उसकी गर्दन एक ओर मोड़ दें, ताकि मुंह में जमा लार और झाग बाहर निकल जाएं। मरीज के पास से फर्नीचर, तेज, नुकीली, चुभने वाली या धारदार वस्तुएं हटा दें।