आधुनिक तकनीक का विकास हिंदी-संस्कृत भाषाओं के आधिकारिक इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए हुआ हिंदी के लिए टेक्स्ट टू स्पीच सिंथेसिस सिस्टम और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिग्निशन तकनीक विकसित की गई अंग्रेजी से हिंदी और संस्कृत से हिंदी के अनुवाद के लिए मशीन ट्रांसलेशन तकनीक विकसित की गई
नई दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हिंदी और संस्कृत के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक सिस्टम विकसित किया है। इस सिस्टम की मदद से सूचना एवं संचार उपकरण पर हिंदी और संस्कृत भाषाओं का इस्तेमाल आधिकारिक उद्देश्यों के लिए संभव हो सकेगा। इस आधुनिक टेक्नोलॉजी का विकास टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फॉर भारतीय लैंग्वेजेज प्रोग्राम (टीडीआईएल) के अंतर्गत किया गया है।
गृह मंत्रालय के अनुसार, “मॉडर्न टेक्नोलॉजी का विकास सूचना एवं संचार उपकरण पर हिंदी और संस्कृत के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। ये सॉफ्टवेयर टूल्स डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूटीडीआईएल-डीईआईएन पर उपलब्ध होंगे।” मंत्रालय ने कहा, “संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज हिंदी और संस्कृत समेत सभी 22 भारतीय भाषाओं के लिए फॉन्ट्स, फायरफॉक्स ब्राउजर और अन्य ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर टूल विकसित की गई हैं। हिंदी के लिए टेक्स्ट टू स्पीच सिंथेसिस सिस्टम और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिग्निशन तकनीक विकसित की गई। अंग्रेजी से हिंदी और संस्कृत से हिंदी के अनुवाद के लिए मशीन ट्रांसलेशन तकनीक विकसित की गई। इसके अतिरिक्त संस्कृत प्रोसेसिंग टूल्स और संस्कृत ई-लर्निंग टूल्स भी विकसित की गई हैं।”
संस्कृत भाषा का इस्तेमाल सरकारी कार्यालयों में नहीं होता: सरकार
सरकार ने बताया कि अनुवादकों के लिए विभिन्न विभागों में रिक्तियां निकाली जाएंगी। उन्होंने कहा, “हिंदी के लिए रिक्तियों को भरने और नए पद के सृजन के लिए संबंधित सरकारी संस्थानों को अपने स्तर पर जानकारी दे दी गई है। जहां तक संस्कृत के अनुवादकों की नियुक्ति करने और नए पद सृजित बनाने की बात है तो इस भाषा का इस्तेमाल केंद्र सरकार के कार्यालयों में नहीं होता है। इसलिए संस्कृत के अनुवादकों के लिए कोई भी पद सृजित नहीं किया गया है।”