हिंदू पक्ष के वकीलों की टीम रामलला विराजमान को उच्चतम न्यायलय के निर्णय की कॉपी सौंपने के लिए 23 नवंबर को अयोध्या जाएगी। एडवोकेट भक्तिवर्धन सिंह ने बताया कि वरिष्ठ वकील केशव पराशरण के नेतृत्व में 20 वकीलों की टीम अयोध्या जाने वाली है।
पहली बार हिंदू पक्ष के वकीलों की टीम अयोध्या जा रही है।
हिंदू पक्ष के प्रवक्ता विष्णुशंकर जैन ने बताया कि अयोध्या में रामलला की पूजा के बाद उन्हें उच्चतम न्यायलय के जजमेंट की कॉपी सौंपी जाएगी।
5 एकड़ भूमि पर कानूनी लड़ाई के लिए तैयार- हिंदू पक्ष
विष्णुशंकर जैन कहते हैं कि उच्चतम न्यायलय के निर्णय के विरुद्ध अगर कोई रिव्यू पिटिशन लगाता है तो हिंदू पक्ष भी उस पर विचार कर सकता है। हिंदू पक्ष यह विचार करेगा कि मुस्लिम पक्ष को जो 5 एकड़ भूमि दी गई है, वह कितनी सही है और कितनी गलत है। क्योंकि हमारी लड़ाई इस पर थी कि बाबर के नाम पर अयोध्या में या देश में कहीं-कोई मस्जिद ना बने।
‘मामला 1500 स्क्वेयर यार्ड का, 277 एकड़ भूमि का नहीं’
विष्णुशंकर ने कहा- अयोध्या मामले में कहीं भी 277 एकड़ का जिक्र नहीं है। लोग ऐसा कह रहे हैं तो यह गलत है। उच्च न्यायलय और उच्चतम न्यायलय के निर्णय से साफ है कि मामला केवल 1500 स्क्वेयर यार्ड भूमि का था। इसी भूमि में से उच्च न्यायलय ने तीन हिस्से किए थे और इसी हिस्से की लड़ाई हम उच्चतम न्यायलय में लड़ रहे थे। 277 एकड़ की बात तो कल्याण सिंह ने कही थी, जो इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने खारिज कर दी थी। रामलला को आसपास की 68 एकड़ भूमि भी मिली है, क्योंकि यह निर्णय पहले ही हो गया था कि जिसके पास 1500 वर्ग यार्ड भूमि रहेगी, वही 68 एकड़ का भी मालिक होगा।
उच्चतम न्यायलय ने निर्णय में कहा था- ढहाया गया ढांचा भगवान का जन्मस्थान, यह आस्था निर्विवादित
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 9 नवंबर को सर्वसम्मति से निर्णय सुनाया था। निर्णय में कहा गया था कि पूरी विवादित भूमि राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी। मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए। मुख्य न्यायाधीश ने मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक भूमि दिए जाने का निर्णय सुनाया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।