। चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकत है और वह इसे लगातार बढ़ा रहा है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने गुरुवार को कहा कि चीन का रक्षा बजट 20 वर्षों में 1 लाख 42 हजार करोड़ से बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसमें 850% की बढ़ोतरी हुई है। दक्षिण चीन सागर और अफ्रीका में उसकी सैन्य गतिविधियां जारी हैं, जो उकसाने वाली हैं। 2017 में चीन ने जिबूती में अपना पहला विदेशी बेस भी बनाया। पेंटागन ने यह भी कहा कि वास्तविक आंकड़े चीन के आधिकारिक बजट से बहुत अधिक है।
रक्षा सचिव जॉन सी रूड ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सामने कहा कि चीन बजट के पैसे का बड़ा भाग विशेष रूप से अंतरिक्ष, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, समुद्री युद्ध, फाइटर एयरक्राफ्ट, लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों पर व्यय करता है। चीन अपनी सैन्य और रणनीतिक विकास के लिए अपनी साइबर क्षमताओं को बढ़ा रहा है।
रूड ने कहा कि चीन की थलसेना में 10 लाख से अधिक सैनिक, 300 नौसैनिक और 250 तटरक्षक जहाज हैं। वायुसेना के पास 2600 से अधिक विमान हैं। सेना के पास बैलिस्टिक मिसाइल शस्त्रागार भी है। इसमें 750-1500 शॉर्ट रेंज, 150-450 मीडियम रेंज और 80-160 इंटर-मीडिएट रेंज के हथियार हैं।
रूड ने कहा कि चीन लगातार अपनी परमाणु क्षमताओं का भी विकास कर रहा है। पीपुल्स लिबरेशन सेना (पीएलए) की नौसेना ने एसएसबीएन श्रेणी की पनडुब्बियों की संख्या चार से बढ़ाकर छह करने वाली है। रॉकेट फोर्स लगभग 90 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों को तैनात किए रहते हैं। चीनी सेना के पास एयर-लॉन्च क्रूज मिसाइलों को ले जाने वाली एच-6के बम वर्षक विमान है।
रूड ने कहा कि चीन परमाणु हथियारों से लैस इन लड़ाकू विमानों से अमेरिका तक पहुंच सकता है। वह परमाणु हथियारों से लैस अपनी सेना को और ताकतवर बनाने का प्रयास कर रहा है। सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के अध्यक्ष सीनेटर जिम इन्होफे ने कहा कि जब चीन सैन्य व्यय बढ़ा रहा था तो ओबामा प्रशासन के समय इसकी रक्षा विनियोजनों (डिफेंस एप्रोप्रीएशन) को 25% कम कर दिया गया था।