राज्य के कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से किसानों ने कृषि मंत्री डॉ। प्रेम कुमार के सामने कई समस्याएं रखी। गुरुवार को विश्व मृदा दिवस पर किसानों की बात कृषि मंत्री के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। किसी ने फसल की उचित मूल्य नहीं मिलने की शिकायकत की, तो किसी ने सिचाईं योजना का लाभ नहीं मिलने की बात कही। पूर्णिया के एक किसान ने कहा कि यूरिया की प्रति बोरा मूल्य 266 रुपए हैं, लेकिन 350 रुपए में क्रय की मजबूरी है। इस पर कृषि मंत्री ने कहा कि यूरिया और अन्य आवश्यक खाद की कमी नहीं है। केंद्र से पर्याप्त खाद की आपूर्ति हो रही है। बावजूद अधिक मूल्य ली जा रही है, तो जांच करा दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि फसल की उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। पैक्स और व्यापारमंडल के माध्यम से प्रति क्विंटल धान 1815 रुपए में किसानों से खरीद का प्रावधान है। राज्य के 54 कृषि बाजार समितियों में आधारभूत संरचना विकसित की जा रही है। सभी समितियों में किसानों के लिए प्रतिदिन विभिन्न फसलों और उत्पादों की मूल्य दर्शायी जाएगी। इससे किसानों को विभिन्न बाजार में उनके फसल, सब्जी और अन्य उत्पाद की मूल्य का पता चल जाएगा। शीघ्र ही डेढ़ दर्जन से अधिक बाजार समितियों में यह व्यवस्था आरम्न्भ हो जाएगा।
बांका के एक किसान ने सुझाव दिया कि हर गांवों में वर्मी कंपोस्ट उत्पादन के लिए सरकार आवश्यक कार्रवाई करे। इस पर मंत्री ने कहा कि सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। सिक्किम के बाद बिहार को पूर्ण जैविक प्रदेश बनाने की दिशा में हमने कदम बढ़ाए हैं। तीसरे कृषि रूप रेखा 2017-22 में इस पर फोकस है। जैविक खाद बनाने के लिए सरकार 50 प्रतिशत अनुदान भी दे रही है। बक्सर से भागलपुर तक जैविक कॉरीडोर बनाया जा गया है। कई किसानों ने कहा कि पुआल की सरकार उचित मूल्य तय कर दे, तो जलाने की मजबूरी नहीं रहेगी। मंत्री बोले- पुआल जलाने से पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान के साथ ही मिट्&zwnj टी की उर्वरता भी कम होती है। पुआल जलाने से रोकने के लिए इसके प्रबंधन से जुड़ी कृषि यंत्रों पर 75 से 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।