बीआरए बिहार विश्वविद्यालय समेत राज्य के 3 विश्वविद्यालयों के प्रभारी कुलपतियों के नीतिगत निर्णय लेने पर रोक लग गई है। इनमें बीआरएबीयू के साथ तिलकामांझी भागलपुर एवं नालंदा खुला विश्वविद्यालय सम्मिलित है। तीनों विश्वविद्यालयों में फिलहाल अस्थायी कुलपतियों की नियुक्ति है।
कुलाधिपति के आदेश पर एडिशनल सेक्रेटरी विजय कुमार ने सोमवार को कुलपतियों को पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वे किसी तरह के नीतिगत निर्णय न लेकर सिर्फ डे टू डे का रूटीन वर्क देखेंगे। प्रोन्नति को लेकर सेलेक्शन कमेटी की बैठक हो या फिर सीनेट, सिंडिकेट या एकेडमिक काउंसिल की बैठक किसी तरह के पॉलिसी मैटर पर रोक लगा दी गई है। नई नियुक्ति, वित्तीय क्रियान्वयन, नया कंस्ट्रक्शन, नया टेंडर से लेकर पॉलिसी से जुड़े किसी तरह के मामले में कुलपति का अधिकार छीन लिया गया है।राजभवन ने कहा है कि विश्वविद्यालय के हित में यदि किसी तरह के पॉलिसी से जुड़े मामले पर निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ी तो इसके लिए निर्णय से पहले अनिवार्य रूप से इसकी अनुमति लेनी होगी।
एकेडमिक काउंसिल की होने वाली बैठक टली सीनेट, सिंडिकेट से पहले 20 नवंबर को एकेडमिक काउंसिल की बैठक होने वाली थी। कुलसचिव ने कहा कि 20 की बैठक आगे करने के लिए संचिका बढ़ा दी गई है। आदेश को देखते हुए आगे इस पर निर्णय होगा।
स्थायी कुलपति की शीघ्र नियुक्ति की संभावना कुलाधिपति के आदेश से विश्वविद्यालय में नए स्थायी कुलपति की नियुक्ति शीघ्र होने की संभावना जतायी जा रही है। विवि की मानें तो इस दिशा में राजभवन के स्तर पर प्रक्रिया चल भी रही है। वित्तीय समेत सभी पॉलिसी मैटर पर निर्णय लेने पर रोक से उम्मीद बढ़ गई है।