पटना – आज रात जैसे ही घड़ी की सुई में नौ बजे, भारतीयों ने स्वेच्छा से अपने घरों में बीजली की रोशनी बंद कर दी और लोग अपने बरामदो और खिड़कियों पर दीपक जलाये। कुछ ने मोमबत्तियाँ से प्रकाश किया तो कुछ लोगों के घरों से मोबाइल की रोशनी चमकती रही।
“भारत माता की जय”, “वन्दे मातरम”, “जय श्री राम”, “हर हर महादेव” के उद्घोष से वातावरण गूँज उठा और शंख भी फूंके गए। कुछ अति उत्साहित आत्माओं ने तो इस अवसर को दिवाली के रूप में मनाने के लिए पटाखे तक फोड़ डाले।
बिहार की राजधानी पटना सहित अन्य नगरों में कुछ आवास संगठनों के निवासियों ने बरामदों में खड़े होकर एकसाथ राष्ट्रभक्ति के गीत गाए।
यह सब हुआ चायनीज महामारी कोरोनावायरस द्वारा पैदा की गई निराशा को चकनाचूर करने के लिए सामूहिक संकल्प व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर।
बीते शुक्रवार को कोरोना के विरुद्ध अभियान के अंतर्गत देश के नाम अपने संदेश में ‘अंधकार को चुनौती’ के रूप मे रविवार को रात नौ बजे नौ मिनट तक बिजली बंद करने और दीपक, टार्च या मोबाइल से रोशनी करने का आग्रह किया था।
बिहार से कुछ तस्वीरें
बिजली ग्रिड का कोई व्यवधान नहीं
कई विरोधी राजनीतिक दलों तथा उनके समर्थक पत्रकारों द्वारा ऐसी आशंका जताई गई थी कि प्रधानमंत्री के आग्रह पर रात नौ बजे से नौ मिनट तक घरों में बल्ब व ट्यूबलाइट बंद होने से बिजली ग्रिड पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और बिजली व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। यद्यपि विद्युत् मंत्रालय ने स्पस्ट रूप से कहा कि था कि देश की ग्रिड व्यवस्था सुदृढ़ है और इस प्रकार की आशंकाएं निराधार हैं।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा, विद्युत् आपूर्ति में कमी और फिर वृद्धि का कार्य सुचारू रूप से चला। अधिकारियों ने अच्छे तरीके से इसका प्रबंध किया। मैं और मेरे साथ वरिष्ठ अधिकारी, बिजली सचिव और पोस्को सीएमडी और नेशनल निगरानी केंद्र से व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नजर रखे हुए थे। मैं एनएलडीसी , आरएलडीसी और एसएलडीसी के सभी इंजीनियरों को स्थिति से बखूबी निपटने को लेकर बधाई देता हूं।
सिंह के अनुसार करीब चार-पांच मिनट के समय बिजली खपत 1,17,000 मेगावाट से कम होकर 85,300 मेगावाट रही। यह संभावित 12,0000 मेगावाट की कमी से कहीं अधिक थी। उन्होंने बिजली उत्पादन कंपनियों एनटीपीसी और एनएचपीसी की सराहना की। सिंह ने कहा कि पनबिजली क्षेत्र से अच्छा योगदान मिला। मंत्रालय के अनुसार बिजली बंद होने के बाद मांग में कमी के पश्चात 110 मेगावाट की वृद्धि सुचारू रही। कहीं से भी बिजली में गड़बड़ी या बंद होने की घटना नहीं हुई।