रामपुर से सपा सांसद आजम खान के विधायक पुत्र दासुल्ला आजम खान का निर्वाचन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को रद्द कर दिया। 2017 के चुनाव में दासुल्ला रामपुर की स्वार सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। बसपा नेता नवाब काजिम अली ने दासुल्ला की आयु को आधार बनाकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। दलील दी थी कि, चुनाव के समय दासुल्ला 25 वर्ष के नहीं थे, बल्कि उस समय उनकी आयु करीब 11 महीने कम थी। अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में अपनी आयु 26 वर्ष बताई थी।
2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा नेता नवाब काजिम अली 20.5% वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे। उसके बाद काजिम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा था कि दासुल्ला की जन्मतिथि एक जनवरी 1993 है। काजिम का कहना था कि दासुल्ला ने चुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेज दाखिल किए और झूठा शपथपत्र लगाया था। काजिम ने दावे के तौर पर कई दस्तावेज भी न्यायालय को दिए। काजिम ने दासुल्ला आजम के हाईस्कूल की मार्कशीट, पासपोर्ट समेत कई दूसरे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में दर्ज जन्मतिथि को आधार बनाया। उन्होंने निर्वाचन रद्द किए जाने की मांग करते हुए नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की थी।
दासुल्ला आजम की तरफ से न्यायालय में दलील दी गई थी कि प्राइमरी में दाखिले के समय शिक्षक ने अनुचित जन्मतिथि अंकित कर दी थी। दासुल्ला ने न्यायालय को बताया था कि, जब वह एम। टेक कर रहे थे, तब हाईस्कूल सहित अन्य प्रमाण पत्रों में दर्ज जन्मतिथि बदलवाने की प्रक्रिया आरम्न्भ की थी। पासपोर्ट पर जन्मतिथि संशोधित हो चुकी है। दासुल्ला ने बताया कि, उनका जन्म 30 सितंबर 1990 को राजधानी लखनऊ के क्वींस मेरी चिकित्सालय में हुआ था। इस मामले में न्यायालय में अब्दुल्ला की मां ताजीन फातिमा, डॉक्टर उमा, विद्यालय के प्रधानाचार्य सहित कुल 9 गवाहों के वक्तव्य दर्ज किए गए।
2017 में दासुल्ला आजम खान पहली बार सपा के टिकट पर स्वार सीट से विधानसभा चुनाव लड़े थे। उन्होंने भाजपा की प्रत्याशी लक्ष्मी सैनी को 53,096 वोटों से हराया था। दासुल्ला को 106,443 वोट मिले थे। वहीं, उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाले बसपा उम्मीदवार नवाब काजिम अली खान को 42,233 वोट प्राप्त हुए थे।