प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) यानी आयुष्मान भारत के लिए केंद्र सरकार से बिहार को एक पैसा भी नहीं मिलेगा। इसका कारण चालू वित्तीय वर्ष में योजना में राज्य के लिए आवंटित राशि का व्यय नहीं होना है। इस स्थिति का आकलन करने के बाद केंद्र सरकार ने संशोधित बजट में योजना के लिए निर्धारित राशि कम कर आधी कर दी है। पीएमजेएवाई के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में 6400 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। इसे संशोधित बजट में घटाकर 3200 करोड़ रुपए कर दिया गया। पिछले 10 महीनों में राज्य सरकार सिर्फ 1698 ।71 करोड़ रुपए ही व्यय कर पाई। अगले दो महीने यानी फरवरी और मार्च में 1500 करोड़ व्यय करने होंगे। इतनी बड़ी राशि होने के बावजूद राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस वित्तीय वर्ष में बिहार को एक भी रुपया इस योजना के अंतर्गत जारी नहीं किया है।
सामाजिक-आर्थिक जनगणना- 2011 में आने वाले राज्य के 1 ।08 करोड़ परिवारों को आयुष्मान भारत के अंतर्गत पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जाना है। बिहार में योजना के अंतर्गत कम गोल्डन कार्ड जारी होने और कम चिकित्सालयों के सूचीबद्ध होने के कारण अधिक लाभार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। कुल 1 ।08 करोड़ लाभार्थी परिवाराें में से 43 लाख परिवार को ही अबतक गोल्डन कार्ड जारी किया गया है।
इस योजना के अंतर्गत बिहार की स्थिति अभी ठीक नहीं है। फिर भी सितंबर, 2018 में लांच हुई इस योजना के अंतर्गत 31 जनवरी, 2020 तक 98 ।69 करोड़ व्यय किए गए हैं। इसमें केंद्र सरकार से अबतक 88 ।27 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं और राज्य सरकार ने 50 ।56 करोड़ की हिस्सेदारी दी है।
आयुष्मान भारत केंद्र और राज्य सरकार की साझेदारी वाली योजना है। केंद्रीय राशि लेने के लिए राज्यों को व्यय का पूरा ब्योरा भेजना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि यदि किसी कारणवश राज्य सरकार केंद्र को आंकड़ा नहीं भेजती है या आवंटित राशि का 75 फीसदी राशि व्यय करने में असफल रहती है तो केंद्र राशि रोक देता है। समय पर केंद्र को योजना के अंतर्गत व्यय का ब्योरा नहीं भेजने के कारण बिहार को राशि निर्गत नहीं की गई।