निरपुर भररिया पंचायत की रूबेदा खातून सुबह ठंड के कारण लेट से उठी थी। वह घर में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी। उसके घर में रखा छोटा मोबाइल फोन बजता है। फोन उठाने उसके पिता की मो। सब्बीर का आवाज सुनाई पड़ती है।
रूबेदा भाई खालिद कला्लाह को प्यारा हो गेलो (मर गया) फैक्ट्री में जल गेलऊ। इसके साथ रूबेदा की चीख सुनकर परिवार के लोग भी जुट जाते हैं। फिर देखते -देखते पूरे गांव में महिलाओं के चीखने -चिल्लाने की आवाज आरम्न्भ हो जाती है। रूबेदा रोते हुए बताती दो दिन पूर्व ही उसे अपने बड़े भाई खालिद से फोन पर बातचीत हुई थी। वह शीघ्र ही गांव लौटने वाला था। खालिद बोल रहा था गांव में बहुत ठंड है वहां लेदर का जैकेट लाएगा। यह करते हुए रूबेदा जोर-जोर से रोने लगती है।