पाकिस्तान के तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह इस्लामिक संगठन के प्रमुख खादिम हुसैन रिजवी का कहना है कि चीन में फैले कोरोना वायरस से उपजी बीमारी दरअसल अल्लाह का चीन देश के गुनाहों की सजा है।
रिजवी ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि ताकत के नशे में चूर चीन लाखों करोड़ो उईघुर मुसलमानों पर बेइंतहा जुल्म करता है जिसके जवाब में अल्लाह ने चीन में कोरोना वायरस फैला कर सजा दी है। उन्होंने और उनके समर्थकों ने दुआ मांगी की चीन में और यह ‘लाइलाज’ बीमारी और फैले और चीन के ‘यारों’ को भी यह वायरस लगे।
“यह (कोरोना वायरस) तो अल्लाह ने सिर्फ एक झलक दिखलाई है,” खादिम ने कहा।
खादिम हुसैन रिजवी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी आड़े हाथों लिया और कहा की पाकिस्तान को ‘रियासत-ए-मदीना’ बोलकर वो ‘हुज़ूर’ का मजाक उड़ा रहे हैं।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान यानी टीएलपी एक बेहद दबदबे वाली इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है जिसका नेतृत्व खादिम हुसैन रिज़वी कर रहे हैं। इस्लामिक आंदोलन के रूप में टीएलपी का गठन अगस्त 2015 में कराची में हुआ था, जो अपने कट्टरपंथी इस्लामी विचारधरा के कारण जल्दी ही पाकिस्तान के युवाओं के बीच प्रचलित हो गया। इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान को एक कट्टर इस्लामिक राज्य बनाना है, जो शरियत-ए-मोहम्मदी के अनुसार चले।
कुछ दिनों पहले विवादास्पद मुस्लिम मौलवी इलियास शराफुद्दीन ने भी ऐसे ही एक विचित्र बयान में कहा था कि अल्लाह ने उइगुर मुसलमानों पर क्रूरता के लिए चीन को कोरोनोवायरस द्वारा दंडित किया है। इलियास ने वायरल प्रकोप को चीन पर अल्लाह की सजा के रूप में कहा, जहां लोग हर जगह मर रहे हैं।
“याद रखें कि कैसे उन्होंने मुसलमानों को धमकी दी है और 20 मिलियन मुसलमानों के जीवन को नष्ट करने की कोशिश की है। मुसलमानों को शराब पीने के लिए मजबूर किया गया, उनकी मस्जिदों को नष्ट कर दिया गया और उनकी पवित्र पुस्तक कुरान को जला दिया गया। उन्होंने सोचा कि कोई भी उन्हें चुनौती नहीं दे सकता, लेकिन अल्लाह ने उन्हें सबसे शक्तिशाली दंड दिया,” इलियास ने कहा।
चीन पर लगते हैं उइगर मुसलमानों पर अत्याचार के आरोप
चीन के कम्युनिस्ट सरकार पर आरोप है उसने शिनजियांग के डिटेंशन केंद्रों में लाखों उइगर मुसलमानों को कैद करके उन पर सामूहिक रूप से अत्याचार कर रहा है। उन्हें कथित तौर पर पीटा जाता है, भोजन से वंचित किया जाता है और चिकित्सा प्रयोगों के लिए इस्तेमाल भी किया जाता है। मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स के अनुसार चीन अपने सैनिकों को उइगर स्त्रियों से सामूहिक बलात्कार को बढ़ावा भी देता है। यद्यपि चीन ने इन रिपोर्टों का खंडन किया है।
अत्याचारों पर पाकिस्तान की चुप्पी
जहाँ फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका सहित 23 देशों ने सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक मामलों पर संयुक्त राष्ट्र समिति में चीन द्वारा उइगरों के दमन की निंदा की है वहीँ इस्लामिक राष्ट्रों जिनमें सऊदी अरब, मिस्र, पाकिस्तान, सयुंक राज्य अमीरात, कतर और अल्जीरिया शामिल हैं – चीन का लगातार बचाव किया है।
विदित हो कि चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता किसी से छिपी नहीं है । ऐसे में पाकिस्तान निरंतर उइगर मुसलमानों के मुद्दे को चीन का आंतरिक मामला बताकर परोक्ष रूप से चीन का पक्ष लेता रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी विश्व भर में मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार के बारे में मुखर होने की बात करते हैं, इसलिए लाखों उइगर मुसलमानों के चीन द्वारा उत्पीड़न पर उनकी चुप्पी विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है।
स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में, खान से इसके बारे में पूछा गया था तो उन्होनें स्वीकार किया कि चीन के साथ पाकिस्तान के “विशेष संबंधों” के कारण वह इस मामले पर कुछ बोल नहीं सकते। चीन उन्हें पैसे भी देता है। इमरान ने कहा कि “चीन ने हमारी सहायता की है, हमें मुसीबतों से निकला है। इसलिए हम वास्तव में चीनी सरकार के आभारी हैं।”