नागरिकता संशोेधन बिल (कैब) के विरोध में पूर्वोत्तर के राज्यों में लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। सबसे अधिक प्रभाव असम और त्रिपुरा में है। असम, त्रिपुरा समेत अरुणाचल, मिजोरम, मेघालय और मणिपुर में प्रदर्शनकारियों को फिक्र अपनी पहचान, भाषा और संस्कृति को लेकर है। यह लोग इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि 2014 तक आए शरणार्थियों को नागरिकता दिए जाने से मूल निवासी अपने ही राज्यों में कला्पसंख्यक हो जाएंगे।
1985 का असम समझौते के अंतर्गत राज्य के उन्हीं प्रवासियों को नागरिकता मिलेगी, जो 25 मार्च 1971 से पहले असम आए हों। एनआरसी कीअंतिम लिस्ट जारी की जा चुकी है और इसमें से 19 लाख लोग बाहर हैं। इधर, कैब में 31 दिसंबर 2014 तक आए शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों को आशंका है कि एनआरसी की लिस्ट से बाहर अधिकतर गैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिल जाएगी। ऐसे में जो मूल निवासी हैं, वे ही कला्पसंख्यक हो जाएंगे।
आदिवासी बहुल राज्य में लड़ाई आदिवासी बनाम गैर-आदिवासी की है। आदिवासी संगठनों का तर्क है कि पहले ही बांग्लादेश से आने वाले गैर-आदिवासी लोगों के कारण से वे कला्पसंख्यक हो गए हैं। अब इस बिल के बाद स्थिति और बिगड़ जाएगी। बिल का विरोध करने वालों में इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) भी है, जो राज्य में भाजपा की साझीदार हैं।
आगे क्या?
पूर्वोत्तर राज्यों को मिले प्रोटेक्शन के कारण से असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के जनजातीय इलाकों में यह बिल लागू नहीं होगा। इसी तरह बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट 1873 के अंतर्गत आईएलपी के इलाके- मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में भी यह लागू नहीं होगा।
उच्चतम न्यायालय के वकील विराग गुप्ता बताते हैं कि नागरिकता संशोधन बिल तो लागू होगा, लेकिन इन राज्यों में रह रहे शरणार्थी वहां बस नहीं पाएंगे। इन शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता तो मिल जाएगी, लेकिन वे मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल और मणिपुर में न भूमि खरीद सकेंगे और न हमेशा के लिए बस सकेंगे। वे इनर लाइन परमिट (आईएलपी) लेकर राज्य में आ-जा सकेंगे।
इनर लाइन परमिट वह दस्तावेज है, जिसे केंद्र सरकार भारतीय नागरिकों के लिए जारी करती है। आईएलपी पहले अरुणाचल, मिजोरम और मेघालय में ही था, लेकिन अब इसमें मणिपुर को भी सम्मिलित कर दिया गया है। आईएलपी लेकर ही बाहरी राज्यों के लिए लोग निर्धारित अवधि के लिए इन राज्यों में जा सकते हैं।