बेहतर जिंदगी की उम्मीद में मुजफ्फरपुर के बालिका गृह पहुंचीं या पहुंचाई गईं भटकी, बिछुड़ी, यतीम बच्चियों की चीख बंद कमरे में गूंजती रहीं और दरिंदे उन्हें नोंचते रहे, उनसे खेलते रहे। यह वही लोग थे जिन पर बच्चियों को संवारने, सुधारने का जिम्मा था। इन चेहरों को देखते ही बच्चियां सिहर उठती थीं। क्या कुछ नहीं होता था उनके साथ..। इन दरिंदों को अब उनके किए की सजा मिली है।
ब्रजेश की राजदार मधु, बालिका गृह की अधीक्षक इंदु कुमारी और अन्य महिला कर्मचारी को न्यायालय ने दोषी ठहराया है। यह महिला कर्मी बच्चियों के साथ यौन हिंसा करने के साथ मारपीट तक करती थी। कई महिला कर्मियों पर बच्चियों से होमो सेक्स करने का आरोप है। गंभीर रूप से बीमार होने पर भी बच्चियों को लंबे समय तक बालिका गृह में दवाएं देकर रखा जाता था। बच्चियां जब दर्द की आरोप करती थी तो कथित डॉक्टर अश्विनी और डॉ। प्रमीला दवाएं देकर चुप करा देते थे।
जांच में सामने आया कि बालिका गृह में बच्चियों को रात में नशीली दवाएं देकर बेहोश कर दिया जाता था। इसके बाद बच्चियों के कमरे में ब्रजेश ठाकुर और अन्य आरोपी पहुंचते थे। दुष्कर्म किया जाता था। बच्चियां सुबह जागती थी, तो उन्हें अंगों में तेज दर्द का अहसास होता था। जालीदार कपड़ा पहना कर अश्लील गानों पर डांस कराया जाता था। पॉर्न वीडियो दिखाकर सेक्स करने के लिए बच्चियों को मानसिक रूप से तैयार किया जाता था।
बालिका गृह में 6 वर्ष से 18 वर्ष के नीचे तक की किशोरियों को रखा जाता था। यहां बाहर से भी शोषण के लिए लोग पहुंचते थे। हर मंगलवार को विकास और उसके साथ बालिका गृह में समिति की ओर से शिविर में पहुंचने वाले सदस्य किशोरियों का यौन शोषण करते थे। मंगलवार की सुबह से ही किशोरियां सहमी रहती थीं। इन्हें दिनभर दर्द से गुजरना पड़ता था।
किशोरियों ने अपने वक्तव्य में कहा था कि रात में एक अंटी (बालिका गृह में कार्यरत) कीड़ा की दवा बताकर टैबलेट खिलाती थी। दवा खाते ही नींद आ जाती थी। सुबह उठने पर पेट, बदन और अन्य अंगों में दर्द होता था। इसकी आरोप करने पर डांट-फटकार और पिटाई की जाती थी। किशोरियों ने यौन उत्पीड़न और मारपीट करने वालों की पहचान हेड सर, सर, पेट वाले सर, लंबे सर, मूंछ वाला पुलिस, आंटी, दीदी जैसे शब्दों से किया था। बालिका गृह में किशोरियों को मिर्गी के मरीजों को लगने वाली सुई देकर बेहोश कर दुष्कर्म किया जाता था। किशोरियों के उपचार के नाम पर बालिका गृह के ऊपर एक कमरा बना था। इसी कमरे में घिनौनी हरकत की जाती थी।
बालिका गृह में खाना मांगने पर गर्म छोलनी से दाग दिया जाता था। एक पीड़िता ने कहा था कि अनुचित कार्य से मना करने पर लड़कियों के शरीर पर खौलता जल फेंका जाता था। रात में कभी किरण आंटी तो कभी चंदा आंटी बगैर कपड़ों के सोने पर मजबूर करती।