मलेशिया के एक 65 वर्षीय इस्लामी प्रचारक जो बिहार के अररिया जिले में नौ अन्य लोगों के साथ आया था, यहाँ एक मस्जिद के अंदर उनकी मृत्यु हो गई।
मृत्यु के समाचार से इस क्षेत्र के लोग खतरे की घंटी मान रहे है, यद्यपि अधिकारियों ने अभी तक उनके निधन के सही कारण की पुष्टि नहीं की है।
उपदेशक मौलवी, जिनकी पहचान मुहम्मद खैरानी बिन लुकमान के रूप में की गई है, 21 मार्च को अररिया पहुंचे थे और गुरुवार सायं को ही उनकी मृत्यु हो गई। लुकमैन 6 मार्च को दिल्ली में उतरे थे।
एक स्थानीय निवासी ने कहा कि लुकमान ने नमाज अदा की और शीघ्र ही मूर्छित होकर अल्लाह को प्यारा हो गए। उन्होंने कहा कि उन्हें अररिया जिला चिकित्सालय ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, अरिया जिला प्रशासन ने डॉक्टर को चिकित्सालय में शव परीक्षण (autopsy) करने के लिए कहा पर स्वास्थ्य अधिकारियों ने सुझाव दिया कि यह क्रिया बड़े केंद्र में किया जाना चाहिए।
एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि पोस्टमॉर्टम केवल औपचारिकता थी।
“हम इस बिंदु पर कुछ भी नहीं कह सकते हैं कि क्या उपदेशक कोरोना महामारी से संक्रमित रोगी था या नहीं,” उन्होंने कहा।
अररिया के जिला पदाधिकारी प्रशांत कुमार से संपर्क नहीं किया जा सका क्योंकि उनका मोबाइल बंद था।
यद्यपि, एक वरिष्ठ अधिकारी शंभू कुमार ने कहा, “बाकी नौ इस्लामिक उपदेशक मस्जिद में रह रहे हैं।”
विदित हो कि इससे पहले पटना की एक मस्जिद में तज़ाकिस्तान से आये विदेशी मुस्लिम धर्म प्रचारक छिपे हुए मिले थे जिन्हें स्थानीय लोगों के विरोध के बाद पुलिस ने बाहर निकला था। इसी महीने भारत के अन्य भागों से भी कई ऐसे विदेशी इस्लामी धर्म प्रचारकों के मस्जिदों में बिना प्रशासन को सूचित किये रहने की बात सामने आई है।
जामा मस्जिद में शुक्रवार को अनिवार्य सामूहिक प्रार्थना करने से बड़ी संख्या में मुस्लिमों को रोकना पड़ा। फिर भी, कुछ स्थानों पर, मुस्लिम अनुयायियों ने तालाबंदी का उल्लंघन किया और सामूहिक प्रार्थना करने के लिए स्थानीय मस्जिदों में एकत्र हुए।
बिहार में कोरोना महामारी से पीड़ित १० रोगी हैं जबकि शुक्रवार को देश भर में यह संख्या 700 के पार पहुंच गई।