एनजीटी ने बिहार की नई बालू खनन नीति पर मुहर लगा दी है। इसके साथ ही सूबे में बालू खनन को लेकर आगे की प्रक्रिया आरम्न्भ करने का रास्ता साफ हो गया है। एनजीटी ने 2 दिसंबर को सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा था।
बिहार की नई खनन नीति के विरुद्ध आरोप के बाद एनजीटी ने 24 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में बालू खनन के ई-ऑक्शन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। खान एवं भूतत्व मंत्री बृजकिशोर बिंद ने बताया कि एनजीटी ने आपत्तियों पर सुनवाई के बाद बिहार बालू खनन नीति, 2019 पर सहमति प्रदान कर दी है। इसके बाद सूबे में बालू खनन को लिए ई-ऑक्शन की प्रक्रिया आगे बढ़ाने को भी हरी झंडी मिल गई। नई नीति से जहां बालू माफिया पर प्रभावी रोक लगेगी और बालू खनन पर एकाधिकार समाप्त होगा, वहीं अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
विभाग ने पिछले दिनों पटना, रोहतास, नालंदा, लखीसराय, जमुई, गया, भोजपुर, भागलपुर, बांका, औरंगाबाद, अरवल और मुंगेर समेत 14 जिलों में बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया आरम्न्भ की थी। लखीसराय व जमुई में इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसके अंतर्गत वर्ष 2020 से अगले पांच वर्षों के लिए बंदोबस्ती होगी।
नई नीति में किसी एजेंसी को दो से अधिक घाटों या 200 हेक्टेयर से अधिक प्रक्षेत्र की बंदोबस्ती नहीं की जाएगी। बालू बंदोबस्ती के लिए सोन, फल्गू, चानन, मोरहर व किउल नदी के लिए यह प्रावधान लागू किये गए हैं। बंदोबस्ती के लिए सभी जिलों में प्रत्येक नदी को कलाग-अलग यूनिट मानते हुए प्रमुख नदियों को विभक्त कर दिया गया है।