पटना – राज्यसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनता दल ने लालू प्रसाद के विश्वासपात्र प्रेम चंद्र गुप्ता और अमरेंद्र धारी सिंह का चयन किया है। राजद के गठबंधन साथी कांग्रेस ने राज्यसभा की एक सीट की मांग की थी परन्तु लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली राजद ने इसे अनसुना कर दिया।
पार्टी की तरफ से घोषित उम्मीदवारों ने आज ही विधानसभा पहुंचकर पर्चा भर दिया।
अमरेंद्र धारी सिंह का राजद से उम्मीदवारी आश्चर्यजनक है क्योंकि न सिर्फ उनका राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं है बल्कि वह उस सवर्ण समाज से आते हैं जिसका राजद घोर विरोधी माना जाता रहा है। दिल्ली में स्थापित अमरेंद्र एक बड़े व्यवसायी हैं और करोड़ो की सम्पति के स्वामी भी। मूलतः वह ग्रामीण पटना के दुल्हन बाजार के एनखां गांव के रहने वाले हैं। वे अविवाहित हैं और ‘अभयानंद सुपर 30’ के ट्रस्टी भी हैं।
वहीं राजनीति में वंशवाद को एक बीमारी बोलने वाले भारतीय जनता पार्टी ने अनुभवी राजनीतिज्ञ डॉ सीपी ठाकुर, जिन्होंने १९८४ में पटना से कांग्रेस के लोकसभा सांसद के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, के पुत्र विवेक ठाकुर को राज्यसभा का टिकट देने का निर्णय किया है। विवेक ने 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन वे हार गए। विवेक की राज्यसभा जीत आश्वासित है। विजयी होने के लिए 41 विधायकों की आवश्यकता है और विधानसभा में भाजपा के 54 विधायक हैं। भाजपा के 13 अतिरिक्त मत जदयू उम्मीदवारों को मिलेंगे।
जदयू ने बिहार से राज्यसभा की अपने हिस्से की दो सीटों पर वर्तमान सदस्य हरिवंश नारायण सिंह और रामनाथ ठाकुर को ही उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है।
विदित हो कि बिहार से राज्यसभा की पांच सीटें रिक्त हो रही हैं। तीन जदयू की और दो भाजपा सदस्य 9 अप्रैल को सेवामुक्त होंगे। राज्यसभा के उपसभापति व जदयू के हरिवंश नारायण सिंह, रामनाथ ठाकुर, कहकशां परवीन जबकि भाजपा के आरके सिन्हा और डॉ सीपी ठाकुर का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसमें दो सीट जदयू को और एक भाजपा को मिलेगी। इस हिसाब से इनमें एनडीए को तीन सीटें ही वापस मिलेंगी। राजद को दो अतिरिक्त सीटों का लाभ होगा।
पार्टी सूत्रों के अनुसार कहकशां को मई में विधान परिषद में भेजा जा सकता है।
बिहार से राज्यसभा में 16 सीटें हैं। इनमें जदयू के 6, भाजपा के 4, राजद के 3, जबकि लोजपा और कांग्रेस के 1-1 सदस्य हैं। एक सीट रिक्त है।