पटना – अन्य राज्यों में तालाबंदी में फंसे प्रवासियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाला बिहार पहला राज्य है। अब एक नई पहल के अंतर्गत बिहार सरकार ने राज्य में लौट रहे प्रवासी श्रमिकों के बड़े स्तर पर “कौशल सर्वेक्षण” का कार्य आरम्न्भ किया है। संभवत: यह अपने आप में देश में पहली ऐसी योजना है।
यदि यह प्रयास सफल रहा तो बिहार की प्रवासी जनसँख्या के कौशल का एक डेटाबेस उनकी आर्थिक स्थितियों और उनके कौशल आधारित रोजगार के अवसरों कमें विभिन्न विभागों की सहायता करने के लिए तैयार होगा।
एक अनुमान के अनुसार, देश भर से 7 से 9 लाख से अधिक प्रवासी बिहारी कोविड-19 संकट के अंत तक वापस आ जाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने का अतिरिक्त भार राज्य पर पड़ेगा।
कौशल सर्वेक्षण आरम्न्भ करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देते हुए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि प्रवासी श्रमिकों के कौशल को वर्गीकृत करने के लिए सर्वेक्षण पूरा किया जाना चाहिए ताकि तालाबंदी के अंत के बाद प्रत्येक विभागों में रोजगार का सृजन हो सके। अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के समय उन्होंने कहा, “कौशल-रूपरेखा उन्हें राज्य के विकास में अपनी सेवाओं और विशेषज्ञता का उपयोग करने में सहायता करेगी।”
प्रवासियों के कौशल सर्वेक्षण के संचालन के लिए, एक मोबाइल ऐप विकसित किया जा रहा है जो प्रवासियों के कौशल को अंकित कर एक बड़े “कौशल डेटाबेस” में संगृहीत करेगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को मनरेगा और अन्य सभी सरकार की योजनाओं में प्रवासियों को कौशल आधारित रोजगार सृजन करने के लिए अग्रिम रूप से तैयार करने का निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त, कुमार ने अधिकारियों से प्रत्येक जिलों में COVID-19 संक्रमण के प्रसार की परीक्षण के लिए यादृच्छिक परीक्षण सुविधा आरम्न्भ करने के लिए भी कहा।
नीतीश ने कहा, “यादृच्छिक परीक्षण न केवल कोरोना विषाणु के महामारी के प्रसार की जांच करने में सहयोगी होगा, अपितु प्रकोप के विरुद्ध संघर्ष में लोगों में सुरक्षा की भावना भी लायेगा।”