गया – बांकेबाजार प्रखंड अंतर्गत रौशनगंज की एक 24 वर्ष गर्भवती महिला लुधियाना से गत 25 मार्च को अपने घर रौशनगंज लौटी। उसे मगध चिकित्सा महाविद्यालय के आपात कक्ष में 27 मार्च को भर्ती कराया गया जिसके 2 दिनों के बाद महिला को कोरोना का संदिग्ध समझ कोरोना रोगियों के लिए बने संगरोध कक्ष में स्थानांतरित कर दिया गया।
महिला का कोरोना संक्रमण के लिए परीक्षण भी हुआ जिसमें इस बात की पुष्टि हो गई कि वह कोरोना संक्रमण से ग्रसित नहीं थी।
महिला 2 अप्रैल को अपने घर लौट आई और 4 दिन बाद ही अचानक सोमवार प्रातः उसकी मृत्यु हो गई।
मृत महिला की सास ने चिकित्सालय के ही एक कर्मचारी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। मृतिका की सास ने आरोपित स्वास्थ्यकर्मी के विरुद्ध रौशनगंज थाने में अपना वक्तव्य लिखवाया जिसके आधार पर चिकित्सा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई।
मृतिका की सास फुलवा देवी के अनुसार, कोरोना कक्ष में रहने के समय उनकी बहू के साथ वहां के एक स्वास्थ्यकर्मी के द्वारा निरंतर दो दिनों तक दुष्कर्म किया गया। दुष्कर्म के कारण से उसे रक्ततस्राव होने लगा और गर्भ में पल रहा बच्चा खराब हो गया।
स्वास्थ्यकर्मी के द्वारा किए गए घृणित कर्म की आपबीती बहू ने अपनी सास को बताया। इस घटना के विषय में जब कोरोना कक्ष के द्वारपाल से किया तो उसने घर की इज्जत बचाने का हवाला दिया।
मृतिका की सास ने बताया कि उनकी बहू लौटने के बाद बहुत डरी सहमी रह रही थी। चिकित्सालय में भर्ती के समय “माथे पर टीका लगाए” स्वास्थ्यकर्मी के द्वारा किये गए अनुचित व्यवहार और यौनाचार की चर्चा घर में प्रायः कर रही थी। उन्होंने कहा कि गर्भ में पल रहे बच्चे और बहू की मृत्यु का उत्तरदायी चिकित्सालय का स्वास्थ्यकर्मी है, उसी के कारण से उनकी बहू का जीवन समाप्त हो गया।
इस घटना के पश्चात “मगध चिकित्सा महाविद्यालय व चिकित्सालय” के अधीक्षक डॉ विजय कृष्ण प्रसाद ने मामले की जांच के लिए दल गठित कर दिया था।
इस जघन्य अपराध के आरोपी स्वास्थकर्मी को आज गिरफ्तार कर लिया गया है।
भारत महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक देश – सर्वेक्षण
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में औसतन हर 15 मिनट में एक महिलाओं के विरुद्ध दुष्कर्म का मामला आता है जो इसे विश्व में सबसे भयप्रद स्थानों में से एक बनाता है।
वर्ष 2012 में नई दिल्ली में एक बस में एक महिला के साथ हुए बहुचर्चित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या ने पूरे भारत को सड़कों पर उतार दिया ताकि दुष्कर्म के अपराधियों को शीघ्र और कठोर दंड। हाल ही में, उस जघन्य कृत के अपराधियों को फांसी भी दी गई लेकिन महिलाओं के प्रति यौन हिंसा अभी भी बेरोकटोक जारी है।