नई दिल्ली – लोकसभा में कृषि सुधार से जुड़े तीन विधेयकों के पेश होने के बाद से ही देश के कई भागों में कृषकों ने केंद्र सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। वहीँ गठबंधन के कुछ साथियों के रूष्ट होने के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े किसान संगठन – भारतीय किसान संघ (बीकेएस)भी केंद्र के विरुद्ध खड़ा हो गया है। भारतीय किसान संघ के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने कहा है कि यह विधेयक उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाला है और इससे कृषकों का जीवन और कठिन होने वाला है।
एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में चौधरी ने कहा कि भारतीय किसान संघ कृषि सम्बंधित सुधार के विरोध में नहीं है पर इन विधेयकों पर कृषकों की चिंताएं हैं। उन्होंने बताया कि अब जिसके पास भी पैन कार्ड है, वही व्यापारी बन कर सीधा किसान से व्यवसाय कर सकता है। सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिससे यह तय हो सके कि जब उसका उत्पाद क्रय किया जाएगा, उसी समय उसे भुगतान हो जाएगा या फिर सरकार उसके भुगतान की गारंटर बनेगी।
चौधरी ने बताया कि देश के 80 प्रतिशत किसान छोटे या मध्यम वर्ग के हैं। अत: एक भारत-एक बाजार का नारा उनके लिए काम नहीं करता। यह या तो बड़े उद्योगों या बड़े कृषकों के लिए ही काम करता है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पिछले दो बजट से 22 हजार नई मंडियों की बात कर रही है, आखिर वे कहां हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कृषि और खाद्य मंत्रालयों को नौकरशाह चला रहे हैं, जिन्हें जमीनी सच्चाई का पता ही नहीं है।
बीकेएस के महासचिव ने बताया कि मौजूदा प्रारूप में यह विधेयक कृषकों की सहायता नहीं करेगा। देशभर के 50 हजार कृषक प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कह चुके हैं कि वे इस कानून को मौजूदा रूप में नहीं चाहते। किसान संघ की कुछ इकाइयों ने ग्राम स्तर पर इसके विरुद्ध प्रस्ताव भी पास किए हैं।