इस दशक का पहला आम बजट आज प्रस्तुत होने जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में 11 बजे बजट भाषण देंगी। वे लगातार दूसरी बार बजट प्रस्तुत करने वाली पहली महिला वित्त मंत्री होंगी। उनसे पहले इंदिरा गांधी ने एक बार फरवरी 1970 में बजट प्रस्तुत किया था। 60 वर्षीय निर्मला अपने बजट भाषण में इनकम कर स्लैब में परिवर्तन की घोषणा कर सकती हैं। कर कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के प्री-बजट सर्वेक्षण के मुताबिक, 18 क्षेत्र की 219 कंपनियों में से 82% कंपनियों को लगता है कि इस बार 80सी के अंतर्गत डिडक्शन की डेढ़ लाख रुपए की लिमिट बढ़ाई जा सकती है। बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी की घोषणा भी हो सकता है।
पिछले वर्ष अंतरिम बजट की घोषणा के अनुसार 5 लाख रुपए तक टैक्सेबल इनकम कर नि:शुल्क है। यह छूट रिबेट के जरिए मिल रही है, लेकिन कर स्लैब 2.5 लाख रुपए से ही आरम्न्भ हो रहा है। इनकम कर में छूट की लिमिट मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए की जाए। यानी इतनी आय वाले इनकम कर के दायरे से पूरी तरह बाहर हो जाएं। उन्हें रिटर्न भरने की भी आवश्यकता न पड़े। इसके बाद 5 लाख से 10 लाख रुपए इनकम पर कर 20% से घटकर 10% करने की भी मांग है। ऐसा हुआ तो 10 लाख तक की टैक्सेबल इनकम वालों के सालाना 46,800 रुपए बचेंगे।
सभी डिडक्शन के बाद भी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से अधिक है तो यह कर स्लैब लागू हो जाता है-
2.5 लाख तक | 0% | 2.5 लाख से 5 लाख | 5% | 5 लाख से 10 लाख | 20% | 10 लाख से ज्यादा | 30% |
(टैक्स के ऊपर 4% सेस भी लागू)
देश में व्यापारिक ट्रांसपोर्टेशन को आसान बनाने के लिए सरकार बजट में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी की घोषणा कर सकती है। समाचार एजेंसी ने सूत्रों से हवाले से सोमवार को यह संसूचना दी। इसके अनुसार वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक्स डिवीजन ने पॉलिसी पर कार्य किया है। व्यापारियों के लिए माल ढुलाई का व्यय घटाना इसका मकसद है। इसके लिए एक सेंट्रल पोर्टल बनाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है, ताकि कंपनियों को लॉजिस्टिक्स से जुड़े समाधान मिल सकें।
- प्रॉपर्टी बिक्री पर कैपिटल गेन्स कर समाप्त किया जा सकता है। शेयर निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कर का समय 1 वर्ष से बढ़ाकर 2 वर्ष किया जा सकता है। निवेशक एक वर्ष तक शेयर रखने के बाद बेचते हैं तो उन्हें 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कर चुकाना पड़ता है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन कर (डीडीटी) की देनदारी का नियम कंपनियों की बनिस्पत शेयरधारकों पर लागू हो सकता है।
- प्रॉपर्टी बिक्री पर कैपिटल गेन्स कर समाप्त होता है तो यह रिएल एस्टेट क्षेत्र के लिए अच्छा होगा। अभी नियम है कि प्रॉपर्टी की बिक्री से मिली राशि को 3 वर्ष में फिर से प्रॉपर्टी में ही निवेश नहीं किया तो मुनाफे पर 30% कैपिटल गेन्स कर चुकाना होता है। दूसरी ओर कोई 24 महीने में ही प्रॉपर्टी को बेच देता है तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स कर चुकाना पड़ता है। 24 महीने बाद 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कर लगता है। घर की बिक्री से हुए कैपिटल गेन से अधिकतम दो घर खरीद सकते हैं। लेकिन, कर में छूट का दावा करने के लिए कैपिटल गेन 2 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए। यह छूट जीवन में सिर्फ एक बार ली जा सकती है।
ज्योति रॉय डीवीपी (इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट), एंजेल ब्रोकिंग | अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए सरकार बड़े ऐलान कर सकती है। पिछले कुछ वर्षों में सख्त नीतियों और आईएलएंडएफएस जैसे संकटों के कारण से सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि प्रभावित हुई। सितंबर तिमाही में यह 4.5% रह गई। हालांकि, कॉर्पोरेट कर में कटौती का निर्णय महत्वपूर्ण था, लेकिन इसके प्रभाव से निवेश आने में समय लगेगा। सरकार बजट में इनकम कर स्लैब में परिवर्तन के साथ ही हाउसिंग और ऑटो क्षेत्र के लिए बड़े ऐलान कर सकती है। | अनंत पद्मनाभन, चेयरमैन (ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी घरेलू काउंसिल) | सोने के गहनों की खरीद पर पैन नंबर देने का नियम 2 लाख की खरीद की बनिस्पत 5 लाख की खरीद पर लागू होना चाहिए। जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए ईएमआई की सुविधा की दी जानी चाहिए। | जी प्रदीप कुमार, सीईओ (यूनियन एसेट मैनेजमेंट कंपनी) | इकोनॉमिक वृद्धि बढ़ाने के लिए सरकार ने कॉर्पोरेट कर घटाने समेत कई निर्णय लिए। लेकिन, म्यूचुअल फंड और शेयरों से जुड़े कर पर भी ध्यान देना चाहिए। रिएल एस्टेट और वित्तीय एसेट्स में निवेश बढ़ाने के उपाय करने की भी आवश्यकता है। 10 लाख रुपए तक की आय कर नि:शुल्क कर दी जाए तो अर्थव्यवस्था को लाभ हो सकता है। हालांकि, कर कलेक्शन के मोर्चे पर नुकसान होगा, लेकिन इसके फायदों का भी आकलन करना चाहिए। | उदय वर्मा, पूर्व सचिव, एमएसएमई | बजट में वित्त मंत्री को एमएसएमई क्षेत्र पर ध्यान देना होगा। विनिर्माण में इस क्षेत्र का 40%, निर्यात में 35% और देश की कुल सकल घरेलू उत्पाद में 29% से 30% तक योगदान है। इस क्षेत्र का ध्यान रखे बिना इकोनॉमिक स्लोडाउन और बेरोजगारी की चुनौती से निपटना संभव नहीं होगा। |