दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर ईरान द्वारा इस्लामिक दुनिया में भारत को अलग-थलग करने की धमकी दिए जाने के चंद दिनों के अन्दर ही देश के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोनोवायरस महामारी से लड़ने में सहायता के लिए गुहार लगाई। ईरान में अब तक 12,729 लोग इस रोग से संक्रमित हैं और 1111 लोगों की मृत्यु हो गई है।
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में ईरानी राष्ट्रपति ने अपने देश में इस समस्या को अति गंभीर बताते हुए संयुक्त और समन्वित क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उपायों पर जोर देने पर जोर दिया।
रूहानी ने भारत सहित कई देशों को कोरोनोवायरस प्रकोप से निपटने में सहायता के लिए लिखा है।
ईरानी राष्ट्रपति ने पत्र में यह भी कहा है कि अमेरिकी प्रतिबंधों ने कोरोनोवायरस के विरुद्ध उनकी लड़ाई कमजोर पड़ रही है।
इसी मामले में ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने एक ट्वीट में लिखा, जब पूरे विश्व में कोरोना वायरस की महामारी से हड़कंप मचा है, ऐसे नाजुक समय में प्रतिबंध लगाना अत्यंत अनैतिक है। उन्होंने कहा है कि बेगुनाहों की जान जाते देखना घोर अनैतिक है ।
5 मार्च को, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने पूर्वाग्रहों से भरे हुए अपने सन्देश में भारत से चरमपंथी हिंदुओं का सामना करने और मुस्लिमों के नरसंहार को रोकने के लिए कहा था, जो फरवरी के अंतिम सप्ताह में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा की एकतरफा कहानी में था।
खमेनेई ने एकतरफा और दुष्प्रचार की भावना से भरे अपने एक ट्वीट में कहा था कि दुनिया भर के मुसलमानों का दिल भारत में “मुसलमानों के नरसंहार ” से दुखी है। भारत सरकार को चरमपंथी हिंदुओं और उनकी पार्टियों का सामना करना चाहिए और “मुसलमानों के नरसंहार” को रोकना चाहिए नहीं तो भारत इस्लामी दुनिया में अलग थलग पड़ जायेगा।
खामेनेई के ट्वीट के दो दिन पहले, ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने भी एक पक्षपातपूर्ण और विवादित वक्तव्य में हिंसा को “भारतीय मुसलमानों के विरुद्ध संगठित हिंसा की लहर” करार देते हुए दिल्ली के दंगों की निंदा की थी। एक दिन बाद, नई दिल्ली ने ईरान के राजदूत को तलब किया था और दिल्ली में घटनाओं पर ज़रीफ़ के “एकतरफा और संवेदनशील” वक्तव्य पर भारत की अप्रसन्नता व्यक्त की थी।
दिल्ली के दंगों पर ईरान की प्रतिकूल प्रतिक्रिया आश्चर्यचकित कर देने वाली थी क्योंकि भारत और ईरान के बीच कई शताब्दियों से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। भारत ईरान का एक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है और भले ही तेहरान ने कश्मीर, नागरिकता संशोधन कानून या हाल के दिल्ली दंगों के मामले में भारत के निर्णयों पर प्रश्न किया हो, दिल्ली ने हमेशा से उसके साथ अपनी भागीदारी बढ़ाई है और अपने मैत्री संबंधों पर आंच नहीं आने दी। भारत ने ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद तेल खरीदना जारी रखा था।