कोरोनावायरस महामारी के कारण मांग में भारी गिरावट से अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट ने सोमवार को अब तक के इतिहास में अपना सबसे बुरा दिन देखा। डब्ल्यूटीआई का वायदा भाव सोमवार को -$37.63 प्रति बैरल के अब तक के सबसे निम्न स्तर पर पहुंच गया।
व्यापार का आरम्भ 18.27 डॉलर प्रति बैरल से हुआ और घटते-घटते पहले एक डॉलर के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया और बाजार बंद होते-होते यह शुन्य से भी नीचे चला गया।
कच्चे तेल का भाव अमेरिका में एक कप कॉफी से भी सस्ता हो गया है, क्योंकि वहां स्टारबक्स में एक कप कॉफी 3-4 डॉलर में मिलती है।
कोरोना विषाणु महामारी के कारण मांग निचले स्तर पर पहुंचने से अमेरिका की भण्डारण क्षमता के शीघ्र भर जाने तथा वर्ष कंपनियों के निकृष्टतम परिणाम आने की आशंका से तेल की कीमतों में यह गिरावट दर्ज की गई है।
ब्रेंट क्रूड की मूल्य 6.3% की गिरावट के साथ 26.32 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंंच गई।
आईएनजी के कमोडिटीज स्ट्रैटिजी के प्रमुख वॉरेन पैटरसन ने कहा, ‘मई का अनुबंध कल समाप्त होने वाला है और जून के अनुबंध में पहले से ही बहुत अधिक तेल बचा हुआ है। ‘
अमेरिका की स्टोरेज फैसिलिटीज खासकर ओकलहोमा में तेल की मात्रा बढ़ रही है, क्योंकि रिफाइनर्स कम मांग की समस्या से जूझ रहे हैं। तेल बाजार के प्रमुख जॉर्नर टॉनहाउगन ने कहा, ‘उत्पादन जारी रहने से भंडार शीघ्र ही भर जाएगा। विश्व में तेल की खपत बहुत तेजी से घटी है और इसका प्रभाव तेल की कीमतों पर देखने को मिलेगा। ‘
कोरोना विषाणु संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए विश्व में तालाबंदी और यात्रा पर प्रतिबंध चल है। इसके कारण कच्चे तेल की मांग में भारी गिरावट आई है।
सऊदी अरब और रूस के बीच मूल्यों को लेकर रस्साकसी होने से तेल की मूल्य गिरावट और गहरा गई। यद्यपि, इस महीने के आरम्न्भ में दोनों देशों तथा कुछ अन्य देशों ने मिलकर तेल की मूल्य बढ़ाने के लिए उत्पादन में करीब १ करोड़ बैरल प्रतिदिन की कटौती करने का निर्णय किया, लेकिन मूल्य में गिरावट जारी है।
विश्लेषकों का कहना है कि मांग में जितनी गिरावट आई है, उत्पादन उसके अनुरूप नहीं घटाया जा रहा है।
कोरोना विषाणु के कारण अमेरिका समेत पूरे विश्व की परिस्थिति खराब है। इससे उर्जा क्षेत्र अत्यंत प्रभावित है। कारखानों में कामकाज घटा है और विमानन क्षेत्र में मंदी के कारण तेल की मांग बहुत गिर गई है, जिससे मूल्य पर दबाव बढ़ गया है।
अमेरिकी तेल कंपनियों पर कर्ज का भार बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के लिए भी संकट है। यदि कोई भी कंपनी दिवालिया होती है तो इससे अमेरिका की पूरी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव होगा।