त्रिवेणीगंज – अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। लेकिन चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सक एवं कर्मियों की लापरवाही के कारण व्यवस्था बदहाल है। इसका ताजा उदाहरण अनुमंडलीय चिकित्सालय में डेढ़ वर्ष से रोगी कल्याण समिति की बैठक आयोजित नहीं होना है। जिससे समिति के सदस्यों में प्रबंधन के विरुद्ध नाराजगी देखी जा रही है।
सरकारी चिकित्सालय की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा रोगी कल्याण समिति का गठन किया गया है। समिति का मुख्य उद्देश्य रेफरल चिकित्सालय द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार एवं सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। वहीं चिकित्सालय में योजनाओं के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण भी किया जाना है। रोगी कल्याण समिति के सदस्य मनीष चोखानी ने बताया कि रेफरल कल्याण समिति के अंतर्गत समान पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण के कलाावे स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सुधार की दिशा में सुझाव देना सम्मिलित है। रेफरल चिकित्सालय कोष से व्यय किए जाने वाले राशि का वित्तीय पर्यवेक्षण करना, किसी भी चिकित्सक अथवा कर्मचारी द्वारा असंतोषजनक कार्य करने, कदाचार पूर्ण कार्य किये जाने पर समिति को इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य समिति को देना है। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि चिकित्सालय प्रबंधन की लापरवाही के कारण बीते डेढ़ वर्ष से अधिक अवधि बीत जाने के बाद भी रोगी कल्याण समिति की बैठक नहीं बुलाई गई है।
इस बाबत अनुमंडलीय चिकित्सालय त्रिवेणीगंज के उपाधीक्षक डॉ आरपी सिन्हा ने कहा कि 4 चार दिसंबर को समिति सदस्यों की बैठक बुलाई जाएगी।
22 फरवरी को कोशी प्रमंडलीय क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक विवेक चौधरी ने चिकित्सालय के औचक निरीक्षण के समय समिति की बैठक अविलंब बुलाने का निर्देश स्वास्थ्य प्रबंधक को दिया था। वहीं एसडीएम विनय कुमार सिंह ने भी चिकित्सालय के निरीक्षण के समय हेल्थ मैनेजर को बैठक बुलाने का निर्देश दिया। लेकिन आज तक बैठक नहीं बुलाई गई है।
वरीय पदाधिकारियों के निर्देश को प्रबंधन ठेंगा दिखा रहा है। रोगी कल्याण समिति की महिला सदस्या सतिंद्र कौर बताती हैं कि बैठक हर 3 माह में होने का प्रावधान है। एक वर्ष में कम से कम 4 बार बैठक करना अनिवार्य है।