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Home अपराध

देशभर को झकझोर देने वाले मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड से जुड़े कुछ अहम घटनाक्रम

by समाचार पटल
जनवरी 21, 2020
Reading Time: 1 min

नयी दिल्ली/मुजफ्फरपुर : दिल्ली की एक न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में ब्रजेश ठाकुर और 18 अन्य को कई लड़कियों के यौन शोषण एवं शारीरिक उत्पीड़न का दोषी करार दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ठाकुर को पॉक्सो कानून के अंतर्गत गुरुतर लैंगिक हमला और सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया। न्यायालय ने मामले के एक आरोपी को बरी कर दिया। आरोपियों में 12 पुरुष और आठ महिलाएं सम्मिलित थीं। न्यायालय ने इस मामले में दोषियों को सुनाई जाने वाली सजा पर दलीलों को सुनने के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की है.

ब्रजेश ठाकुर के अतिरिक्त न्यायालय ने इन्हें दोषी करार दिया
ब्रजेश ठाकुर के अतिरिक्त बालिका गृह की अधीक्षक इंदु कुमारी, बालिका गृह की गृह माता मीनू देवी, चंदा देवी, काउंसलर मंजू देवी, नर्स नेहा कुमारी, केस वर्कर हेमा मसीह, सहायक किरण कुमारी, तत्कालीन सीपीओ रवि कुमार, सीडब्लूसी के अध्यक्ष दिलीप कुमार, सीडब्लूसी के सदस्य विकास कुमार, ब्रजेश ठाकुर का ड्राइवर विजय तिवारी, कर्मचारी गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, बाल संरक्षण इकाई की तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी, रामानुज ठाकुर, रामाशंकर सिंह, बालिकागृह के डॉक्टर अश्विनी, साइस्ता परवीन उर्फ मधु को न्यायालय ने दोषी करार दिया है.

ब्रजेश ठाकुर द्वारा चलाया जा रहा था आश्रय गृह
बालिका गृह कांड का मास्टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर ने 2000 में मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से बिहार पीपुल्स पार्टी (बिपीपा) के टिकट पर चुनाव लड़ा था और हार गया था। सेवा संकल्प नामक एनजीओ का संचालक ब्रजेश ठाकुर करता था जो बालिका गृह का भी संचालन किया करता था। मालूम हो कि बालिका गृहों का संचालन एनजीओ के जरिये सरकार कराती है। एक एनजीओ से 11 महीने का अनुबंध किया जाता है और फिर रिकॉर्ड को देखते कर अनुबंध को आगे बढ़ाया जाता है। इस एनजीओ का अनुबंध लगातार रिन्युअल किया जाता रहा.

कोर्ट ने आरोपियों के विरुद्ध तय किये थे यह आरोप
न्यायालय ने 30 मार्च, 2019 को ठाकुर समेत अन्य आरोपियों के विरुद्ध बलात्कार और नाबालिगों के यौन शोषण का आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप तय किये थे.अदालत ने बलात्कार, यौन उत्पीड़न, नाबालिगों को नशा देने, आपराधिक धमकी समेत अन्य अपराधों के लिए मुकदमा चलाया था। ब्रजेश ठाकुर और उसके आश्रय गृह के कर्मचारियों के साथ ही बिहार के समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, ड्यूटी में लापरवाही और लड़कियों के उत्पीड़न की जानकारी देने में विफल रहने के आरोप तय किये गये थे। इन आरोपों में अधिकारियों के प्राधिकार में रहने के समय बच्चों पर क्रूरता के आरोप भी सम्मिलित थे जो किशोर न्याय कानून के अंतर्गत दंडनीय है.

मंजू वर्मा को मंत्री पद से देना पड़ा था इस्तीफा
इस मामले में बिहार की समाज कल्याण मंत्री और तत्कालीन जदयू नेता मंजू वर्मा को भी आलोचना का शिकार होना पड़ा था जब उनके पति के ठाकुर के साथ संबंध होने के आरोप सामने आये थे। मंजू वर्मा ने आठ अगस्त, 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के घर पड़ा था छापा
मुजफ्फरपुर बालिका कांड की जांच के समय सीबीआई ने मंजू वर्मा के पटना स्थित सरकारी आवास समेत पांच ठिकानों पर 17 अगस्त, 2018 को छापा मारा था। बेगूसराय के चेरियाबरियापुर की श्रीपुर पंचायत के अर्जुन टोला स्थित उनके घर से सीबीआई ने 50 जिंदा कारतूस समेत कई अन्य सामान बरामद किया था। सीबीआई के डीएसपी ने चेरियाबरियापुर थाने में मंजू वर्मा और चंद्रशेखर वर्मा पर प्राथमिकी दर्ज करायी थी। बालिका गृहकांड में ब्रजेश ठाकुर के मोबाइल का सीबीआई ने सीडीआर निकाला तो ब्रजेश व पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा के बीच कुल 17 बार बातचीत की पुष्टि हुई थी। इसके बाद मंजू वर्मा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के बाद उछला था यह मुद्दा
उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इस मामले को सात फरवरी, 2019 को बिहार के मुजफ्फरपुर की स्थानीय न्यायालय से दिल्ली के साकेत जिला न्यायालय परिसर की पॉक्सो न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। यह मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) द्वारा 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपने के बाद सामने आया था। इस रिपोर्ट में किसी आश्रय गृह में पहली बार नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ था.

सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में किया यह सनसनीखेज खुलासा
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उच्चतम न्यायालय में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी और एक श्मशान घाट से &lsquo,हड्डियों की पोटली’ बरामद हुई है। उच्चतम न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि जांच के समय दर्ज पीड़ितों के बयानों में 11 लड़कियों के नाम सामने आये हैं जिनकी ठाकुर और उनके सहयोगियों ने कथित रूप से हत्या की थी। सीबीआई ने कहा कि एक आरोपी की निशानदेही पर एक श्मशान घाट के एक विशेष स्थान की स्वयंाई की गयी, जहां से हड्डियों की पोटली बरामद हुई है।

बालिका गृह कांड की थीम पर बनी फिल्म ऑस्कर के लिए नामित
बालिका गृह कांड जैसी थीम पर बनी फिल्म ‘द स्कॉटलैंड’ को ऑस्कर अवार्ड के लिए नामित किया गया है। फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म कैटेगरी में सम्मिलित किया गया है। पूरी दुनिया में सिनेमा जगत के सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड की सूचि में पहली बार बिहार के किसी फिल्मकार की फिल्म को स्थान मिला है। यह फिल्म अब तक 62 अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम कर चुकी है।

इस फिल्&zwj,म की कहानी में दिखाया गया है कि कैसे एक देश में लड़कियों का रेप और मर्डर होता है। फिल्म में रेप पीड़िता का पिता अपनी बेटी को न्&zwj,याय दिलाने के लिए कानून अपने हाथ में लेता है। फिल्&zwj,म में शून्य सैनी, खूशबू पुरोहित, मनीष वात्&zwj,सल्&zwj,य, चेतन पंडित और दया शंकर पांडे लीड रोल में हैं। शून्य सैनी पहले ही इस फिल्&zwj,म के लिए सात बेस्&zwj,ट एक्&zwj,टर अवॉर्ड जीत चुके हैं। फिल्म के निर्देशक मनीष वात्सल्य पूर्णिया के निवासी हैं।

मनीष कहते हैं कि ऑस्कर अवार्ड कंपीटीशन में उनकी फिल्म को इंट्री मिलना ही बड़ी बात है। हिंदी फिल्मों में ‘द स्कॉटलैंड’ का चुना जाना पूरे बॉलीवुड के लिए गर्व की बात है। द स्कॉटलैंड सच्ची घटना पर आधारित है। बालिका गृह कांड ने मुझ बहुत व्यथित किया था। तभी से ऐसी कथानक पर कार्य करना आरम्न्भ कर दिया। इस फिल्म के जरिये हम समाज को यह संदेश दे रहे हैं कि अनुचित हमेशा अनुचित होता है। ऐसे व्यक्ति को सजा अवश्य मिलती है.


जानें..। ब्रजेश ठाकुर की राजदार ‘मधु’ के बारे में

मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर की राजदार और चिल्ड्रेन होम की कर्ता-धर्ता मधु थी। इस कांड में मधु का नाम महिला थाने की केस डायरी में भी जिक्र किया गया है। चिल्ड्रेन होम में रहने वाली लड़कियों ने भी मधु नाम की महिला का जिक्र किया था, जो अक्सर चिल्ड्रेन होम के कामकाज का जायजा लेने के लिए वहां उपस्थित रहती थी। वकालत की पढ़ाई कर चुकी मधु को टेंडर हथियाने वाली महिला के तौर पर भी जाना जाता है। मधु ही वह राजदार है, जो पिछले 30 वर्षों से ब्रजेश ठाकुर की सबसे नजदीक रही है। जब 2013 में चिल्ड्रेन होम से तीन लड़कियां गायब हो गयी थीं तब भी पूरे मामले की सूचना देने से लेकर दस्तावेज प्रबंधन का कार्य मधु ने ही किया था।

मधु ब्रजेश ठाकुर के संपर्क में 17 वर्ष पहले आयी थी। मधु की जिंदगी कठिनाइयों के बीच गुजरी। पिता का साया जल्दीी उठने के बाद वह अपनी मां के साथ मुजफ्फरपुर के चर्चित चतुर्भुज स्थान में रहने लगी, जो लाल लाइट एरिया है। उस समय मुजफ्फरपुर के चतुर्भुजस्थान में ऑपरेशन उजाला चला था। इस ऑपरेशन को चलाने वाली प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी दीपिका सूरी थीं, जिनका नाम मुजफ्फरपुर के लोग अब भी लेते हैं। उन्होंने चतुर्भुजस्थान में सुधार का बड़ा कार्य किया था। प्रशिक्षु आइपीएस ने मोहल्ला सुधार समिति का गठन कराया। जिसमें ब्रजेश ठाकुर और मधु सहित 12 लोग इसके सदस्य बने थे। मोहल्ला सुधार समिति की देखरेख में वहां जागरूकता अभियान चलने लगा। इसी पर्यंत नब्बे के दशक में ब्रजेश ठाकुर और मधु करीब आये। तब ब्रजेश ठाकुर की शादी भी नहीं हुई थी.

मधु को आगे कर ब्रजेश ने अपनी संस्था और अखबार के लिए बटोरे थे पैसे
मधु को आगे कर ब्रजेश ने अधिकारियों से कई नियम विरुद्ध कार्य कराया और अपनी संस्था और अखबार के लिए पैसे बटोरे। मधु को लेकर ब्रजेश ठाकुर का पारिवारिक जीवन भी खतरे में रहा। कई बार मधु को लेकर ब्रजेश ठाकुर की पत्नी ने झगड़ा किया, ऐसी चर्चा मुजफ्फरपुर में होती रही है। आगे चल कर ब्रजेश ठाकुर ने मधु को पहचान दिलाने के लिए चतुर्भुज स्थान में ही वामा शक्ति वाहिनी के नाम से एक और स्वयंसेवी संगठन बनाया और मधु को इसका निदेशक बना दिया.

संगठन का कार्य चतुर्भुजस्थान में सुधार के कार्य को चलाना था। इसमें बिकने वाली लड़कियों को मुक्त कराना और एचआइवी एड्स को लेकर जागरूकता जैसे कार्यक्रम सम्मिलित थे। वामा शक्ति वाहिनी की ओर से कई तरह के सामाजिक कार्यक्रम समाज को दिखाने के लिए चलाये जाते थे, लेकिन इसके पर्दे के पीछे कुछ और ही होता था। इसमें कई तरह के आरोप लग रहे हैं। पीड़ित लड़कियों के वक्तव्य और चिल्ड्रेन होम से जुड़े अन्य लोगों के अनुसार, यौन शोषण कराने में मधु मुख्य किरदार निभाती थी।

शराब के नशे में विकास व मधु ने बच्चियों को नचाया
ब्रजेश ठाकुर की राजदार शाइस्ता प्रवीण उर्फ मधु बालिका गृह की बच्चियों को भोजपुरी गाना ‘जब मैं आयी सुहाग वाली रतिया’ पर नचाती थी। यह खुलासा सीबीआइ की ओर से दाखिल चार्जशीट से हुआ है। वह सेवा संकल्प एवं विकास समिति एनजीओ की देखरेख के अतिरिक्त बालिका गृह के व्यय पर भी नजर रखती थी। यहीं नहीं, एक पीड़िता ने वक्तव्य दिया है कि ब्रजेश, रवि रोशन, दिलीप व गुड्डू रात को बेडरूम में आकर भोजपुरी गाना पर डांस करने को मजबूर करते थे। शराब के नशे में विकास ने भी कई बार बच्चियों को नचाया था। साहू रोड स्थित ब्रजेश के होटल में भी रवि रोशन व बाल कल्याण समिति के सदस्य रहे विकास के कहने पर बालिका गृह की बच्चियों को ले जाकर डांस कराया जाता था। ब्रजेश के इशारे पर रवि रोशन उसके होटल में बच्चियों को ले जाकर रेप करता था.

विकास भी देता था इंजेक्शन

विकास डॉक्टरी की जानकारी नहीं रहने के बाद भी बच्चियों को इंजेक्शन देता था। एक पीड़िता ने फोटो से दिलीप वर्मा की पहचान करते हुए बताया कि वह रात को आकर जबर्दस्ती बच्चियों को गार्डन में ले जाता था। बालिका गृह की बच्चियों को कीड़े की गोली की जगह नशे की टेबलेट दी जाती थी। टेबलेट खाने के बाद बच्चियां बेहोश हो जाती थी, तब उनके साथ रेप हाेता था। सुबह उठने पर उन्हें इसकी जानकारी मिलती थी। एक पीड़िता ने वक्तव्य दिया है कि विरोध करने पर चंदा आंटी बच्चियों को गर्म बर्तन से मारती थी.


लड़कियों को फटे कपड़ों में देखना पसंद करता था मास्टरमाइंड ब्रजेश

मुजफ्फरपुर बालिका गृह का संचालक और रेप का आरोपित ब्रजेश ठाकुर एक ऐसा मनोरोगी है, जिसे लड़कियों को फटे कपड़ों में देखना पसंद था। उसकी यह पसंद एक ऐसी बीमारी में तब्दील हो गयी थी जिसमें रोगी अपने अधीनस्थ लड़कियों को कपड़े पहनने के लिए नहीं देता है, उन्हें कपड़ों के लिए तरसाता है, उन्हें छोटे कपड़ों में देखना और कपड़े फट जाने पर अंग-प्रत्यंगों को झांकना पसंद करता है। मनोवैज्ञानिकों की भाषा में ऐसे लक्षण पैराफीलिया रोग के हैं। मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के बाद पटना में आयी लड़कियों से पूछताछ में इसका खुलासा हुअा है। घटना के बाद पटना सिटी के निशांत गृह, कुर्जी स्थित आशा गृह और मोकामा आश्रय में सभी पीड़ित लड़कियां आयी हुई थी, जिनका मनोवैज्ञानिक उपचार किया गया।

इस सनसनीखेज मामले से जुड़ी घटनाओं का ब्योरा इस प्रकार है…
– फरवरी 2018 : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) ने बिहार के समाज कल्याण विभाग को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए ऑडिट रिपोर्ट सौंपी.
– 26 मई : टिस की रिपोर्ट बिहार समाज कल्याण विभाग के निदेशक को भेजी गयी.
– 29 मई : बिहार सरकार ने लड़कियों को आश्रय गृह से अन्य संरक्षण गृहों में भेजा.
– 31 मई : जांच के लिए एसआईटी का गठन, ब्रजेश ठाकुर समेत 11 आरोपियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज
– 14 जून : बिहार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह को सील किया, 46 नाबालिग लड़कियों को छुड़ाया.
– 01 अगस्त : बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को राज्य भर के आश्रय गृहों की निगरानी के संबंध में पत्र लिखा, यौन उत्पीड़न के मामलों के तत्काल निस्तारण के लिए फास्ट ट्रैक न्यायालयों के गठन का सुझाव दिया.
– 02 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान लिया, केंद्र और बिहार सरकार से उत्तर मांगा.
– 05 अगस्त : बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कर्तव्य में लापरवाही और टिस की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करने में विलम्ब को लेकर राज्य कल्याण विभाग के छह सहायक निदेशकों को निलंबित किया.
– 07 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं की तस्वीरों को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया पर किसी भी रूर में प्रकाशित-प्रसारित नहीं करने को कहा.
– 08 अगस्त : बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने मामले के मद्देनजर इस्तीफा दिया.
– 20 सितंबर : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं.
– 04 अक्टूबर : सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उन्हें आश्रय गृह से लड़की का कंकाल मिला है.
– 28 नवंबर : उच्चतम न्यायालय ने बिहार आश्रय गृह उत्पीड़न के 16 मामलों को सीबीआई को सौंपा.
– 07 फरवरी, 2019 : उच्चतम न्यायालय ने मामले को बिहार से साकेत जिला न्यायालय परिसर की पोक्सो न्यायालय को स्थानांतरित करने का आदेश दिया.
– 25 फरवरी : जिला न्यायालय में मुकदमा आरम्न्भ हुआ.
– 02 मार्च : सीबीआई ने न्यायालय को बताया कि कई पीड़िताओं ने ब्रजेश ठाकुर के विरुद्ध गवाही दी.
– 06 मार्च : बिहार बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने दावा किया कि उनके विरुद्ध पर्याप्त सबूत नहीं.
– 30 मार्च : निचली न्यायालय ने 21 आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय किये.
– 03 मई : सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय से कहा ब्रजेश ठाकुर, अन्य ने 11 लड़कियों की कथित तौर पर हत्या की.
– 06 मई : उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को तीन जून तक कथित हत्याओं की जांच पूरी करने को कहा.
– 03 जून : उच्चतम न्यायालय ने जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को तीन महीने का समय दिया.
– 12 सितंबर : उच्चतम न्यायालय ने आठ लड़कियों को उनके परिवारों से मिलाने की अनुमति दी, बिहार सरकार से सहायता देने को कहा.
– 30 सितंबर : निचली न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रखा.
– 14 नवंबर : यहां वकीलों की हड़ताल के कारण से निर्णय टला.
– 12 दिसंबर : मुकदमा चलाने वाले न्यायाधीश के छुट्टी पर होने के कारण से निर्णय एक बार फिर टला.
– 08 जनवरी, 2020 : सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में किसी बच्ची की हत्या के सबूत नहीं मिले.
– 20 जनवरी : न्यायालय ने ठाकुर और 18 अन्य को दोषी ठहराया, सजा पर दलीलों को सुनने के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की.

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