मोतिहारी – ढाका प्रखंड के जटवलिया गांव में निर्दोष और निहत्थे ग्रामीणों पर पुलिस और प्रशासन की बर्बरता और उत्पीड़न की मिसाल सामने आई। ग्रामीण सैकड़ों वर्ष पुराने हिन्दू शमशान भूमि पर पंचायती सरकार भवन बनाने के विरोध में है। उन्होनें आवेदन कर सरकार से गुहार लगाई थी कि भवन के लिए किसी अन्य स्थल का चयन किया जाए।
मुखिया ममता देवी और उनके पति चन्दन कुमार पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी आम सभा के सहमति से ब्लॉक अधिकारियों के सांठ गाँठ से यह भवन परियोजना इस भूमि पर स्वीकृति करवा ली जो हिन्दुओं के सभी समुदायों द्वारा वर्षों से दाह-संस्कार के लिए उपयोग में होती आई है। मन्हरवा पोखर के एक आंट पर स्थित यह स्थल धार्मिक दृष्टि से भी हिन्दू समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और आस्था का प्रतीक है क्योंकि यहाँ वार्षिक महावीरी झंडा और छठ पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।
कुछ दिन पूर्व ही ग्रामीणों ने अनुविभागीय अधिकारी (SDO) ज्ञान प्रकाश और अंचलाधिकारी रीना कुमारी से मिलकर आवेदन किया था कि इस मामले की जांच कर इसे लोकहित में सुलझाया जाए। अधिकारियों ने आश्ववासन दिया था कि वे शुक्रवार (11 सितम्बर) को घटना स्थल पर आकर मामले का संज्ञान लेंगे। नियत तिथि पर न आकर SDO ज्ञान प्रकाश पुरे पुलिस दल बल के साथ रविवार को मन्हरवा पोखर पहुंचे और ग्रामीणों से बातचीत किये बिना सीधे आदेश सुना दिया कि पंचायती सरकार भवन इसी स्थल पर बनेगा।
उप पुलिस अधीक्षक (DSP) शिवेंद्र कुमार ने तो यहाँ तक कह दिया कि इसके लिए स्थल पर स्थित मंदिर भी तोडा जायेगा। लोगों के इस बात पर आक्रोशित होने पर शिवेंद्र कुमार ने ग्रामीणों से अभद्र भाषा में बात करते हुए गाली गलौज करना आरम्भ कर दिया और मुखर लोगों पर पुलिस द्वारा डंडे बरसाने का आदेश दे दिया। DSP द्वरा की जा रही अभद्रता और मारपीट पर भारतीय सेना के सेवानिवृत अधिकारी राज किशोर शर्मा ने जब आपति जताई तो उन पर पुलिस द्वारा जुल्म किया गया और उन्हें जबरन पुलिस की गाड़ी में बंदी बना लिया गया। अन्य ग्रामीणों को भी आरोपित करने और जेल में बंद करने की धमकी दी गयी।
लोग पुलिस और प्रशासन की बर्बरता से आक्रोशित हो उठे और पुलिस की गाड़ी घेर कर सेना अधिकारी को छुड़ा लिया।
परिस्थिति बिगड़ते देख पुलिस और प्रशासन वहां से चली तो गयी पर उसके बाद जो किया वह पुलिस और प्रशासन के चरित्र को शर्मसार करने वाली है।
रविवार रात को ही CO रीना कुमारी द्वारा कुंडवा चैनपुर थाना में पंद्रह (15) लोगों पर नामजद मुकदमा कर झूठे मारपीट का आरोप लगाया गया जबकि घटना स्थल पर लोगों द्वारा किसी प्रकार की हिंसा नहीं हुई। पच्चास (50) अन्य ‘अज्ञात’ का भी नाम आरोपित किया गया ताकि किसी भी प्रकार के विरोध स्वर को कानूनी दांवपेंच में उलझा कर कुचला जा सके। साथ ही एक ग्रामीण के नाम से चार लोगों पर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून, के अंतर्गत एक और झूठा केस दर्ज कराया गया जो यह दर्शाता है कि यह सब चन्दन कुमार और प्रशासन के पूर्व नियोजित षड़यंत्र के अंतर्गत किया गया ताकि ग्रामीण जिसमें अधिकांश गरीब और पिछड़े वर्ग से आते हैं उन पर दबाव बना कर डराया जा सके। ऐसे कई आरोपित बनाये गए जो जमानत के लिए वकील तक रख नहीं सकते।
हिन्दू शमशान भूमि बचाने के इस आन्दोलन को बदनाम करने के लिए राज्य के प्रमुख अख़बारों के स्थानीय पत्रकरों, जो सामान्यत: बहुत निर्भीक और स्वतंत्र नहीं होते, को बुलाकर झूठे वक्तव्य देकर एकतरफा समाचार छपवाया गया। यह खबर छपवाई गयी कि दो पक्षों के बीच मारपीट हुई जो सरासर झूठ है। यह भी छपवाया गया कि लोगों ने पथराव किया और चार पुलिसकर्मी घायल हो गए।
शमशान भूमि पर मुखियापति चन्दन कुमार की मिलीभगत से सरकारी भवन बनाया जा सके जिसका ठेकेदार मुखियापति का ही एक करीबी है।