निर्भया कांड के दरिंदों की फांसी बार-बार टलने से आम आदमी और न्यायिक तंत्र ही नहीं, बल्कि देश का राजनीतिक नेतृत्व भी विचलित है। पत्रकार ने सियासी दलों, 9 राज्यों के 76 सांसदों और 2 पूर्व कानून मंत्रियों से चुनिंदा प्रश्न पूछे, जो अपराधियों को फांसी से बचाने वाली कानूनी खामियों पर आधारित थे। जैसे- रिव्यू पिटीशन, क्यूरेटिव और दया अर्जी दायर करने की समयसीमा क्यों नहीं है? राष्ट्रपति के पास जाने वाली दया अर्जियों पर निर्णय के लिए समयसीमा तय होनी चाहिए या नहीं? क्योंकि कानूनी प्रावधानों में अस्पष्टता का लाभ उठाकर फांसी की सजा पाए 2324 दोषी अब भी जिंदा हैं। ताजा मामला निर्भया के चार दोषियों का है।
भाजपा के 53 सांसदों समेत 74 सांसदों ने कहा कि कानून में संशोधन जरूरी है। 65 सांसदों ने फांसी के निर्णय से कार्यान्वयन तक समयसीमा तय करने की वकालत की। 44 सांसदों ने कहा कि संशोधन का प्रस्ताव कोई भी पार्टी लेकर आए, वे समर्थन करेंगे।
38 सांसदों ने कहा कि कानून में संशोधन का प्रस्ताव 31 जनवरी से आरम्न्भ होने वाले बजट सत्र में आना चाहिए। 32 सांसदों ने कहा कि वे अपनी पार्टी से प्रस्ताव लाने को कहेंगे। दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर, मनोज तिवारी समेत 24 सांसदों ने कहा कि वे संशोधन की मांग संसद में भी उठाएंगे।
निर्भया के मामले में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई। सभी तरह की याचिकाएं सुनी गईं। फिर भी फांसी में विलम्ब हो रही है। यह अस्वीकार्य हैै। संसद और न्यायालय को मिलकर ऐसी खामियों को दूर करना होगा।' डीवी सदानंद गौड़ा संसद में कानून बना सकते हैं, लेकिन उसके संवैधानिक पहलुओं की जांच उच्चतम न्यायालय कर सकता है। इसलिए दोनों ही संस्थाओं को एक साथ कदम उठाने होंगे। किसी एक के पहल करने से बात नहीं बनेगी। सलमान खुर्शीद
कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- ‘ ‘ अब देश प्रक्रियाओं की आड़ नहीं ले सकता।, , राजद के मनोज झा ने कहा- ‘ ‘ जघन्य केसों को फास्ट ट्रैक करना होगा। लॉ कमीशन इसकी सिफारिश कर चुका है।, , जदयू की कहकशां परवीन, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी, माकपा के सौगत बोस ने कहा कि प्रक्रिया को समयबद्ध बनाने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है।
संसद सत्र के समय हर मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सांसदों की बैठक लेते हैं। हम मध्य प्रदेश के सांसदों के मुख्य सचेतक सुधीर गुप्ता से कहेंगे कि प्राइवेट बिल लाएं। साथ ही शीर्ष नेताओं से बात करें।, डाॅ। कृष्णपाल सिंह यादव, सांसद, गुना