गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (47) अब गूगल की पैरेंट कंपनी कला्फाबेट के भी सीईओ बन गए हैं। गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज (46) ने कला्फाबेट के सीईओ का पद छोड़ दिया। पिचाई को यह जिम्मेदारी दी गई है। दूसरे को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन (46) ने भी कला्फाबेट के प्रेसिडेंट पद से इस्तीफा दे दिया, कंपनी में अब प्रेसिडेंट का पद समाप्त कर दिया जाएगा। पेज और ब्रिन ने एक ब्लॉग पोस्ट के जरिए मंगलवार को इन फैसलों की घोषणा किया। पिचाई ने दोनों का आभार जताया। भारतीय मूल के पिचाई 2004 से गूगल में हैं।
I, m excited about Alphabet, s long term focus on tackling big challenges through technology। Thanks to Larry & Sergey, we have a timeless mission, enduring values and a culture of collaboration & exploration – a strong foundation we, ll continue to build on https://t.co/tSVsaj4FsR
&mdash Sundar Pichai (@sundarpichai) December 4, 2019 पेज की नेटवर्थ 4.22 लाख करोड़ रुपए, पिचाई की 4300 करोड़
दोनों को-फाउंडर ने कहा- कला्फाबेट अब अच्छी तरह स्थापित हो चुकी है, एक स्वतंत्र कंपनी के तौर पर गूगल भी प्रभावी ढंग से चल रही है। मैनेजमेंट स्ट्रक्चर में परिवर्तन का यह सही समय है। जब भी हमें लगा कि कंपनी के संचालन का कोई और श्रेष्ठतर तरीका है तो हमने कभी नहीं सोचा कि प्रबंधन की भूमिकाओं में रहें। कला्फाबेट और गूगल को कलाग-अलग सीईओ और प्रेसिडेंट की आवश्यकता नहीं है।
पेज और ब्रिन कला्फाबेट के बोर्ड में बने रहेंगे। उनके पास कंपनी के 51.3% कंट्रोलिंग वोटिंग शेयर हैं। पिचाई के पास 0.1% होल्डिंग है। यानी कंपनी के संस्थापक कभी भी सीईओ को चुनौती दे सकते हैं। गूगल ने कहा है कि वोटिंग स्ट्रक्चर में कोई परिवर्तन नहीं होगा। फोर्ब्स के अनुसार पेज की नेटवर्थ 58.9 अरब डॉलर (4.22 लाख करोड़ रुपए) और ब्रिन की 56.8 अरब डॉलर (4.07 लाख करोड़ रुपए) है। पिचाई की नेटवर्थ करीब 60 करोड़ डॉलर (4,300 करोड़ रुपए) होने का अनुमान है। अल्फाबेट मार्केट कैप में दुनिया की तीसरी बड़ी कंपनी है, उसका वैल्यूएशन 893 अरब डॉलर (64 लाख करोड़ रुपए) है।
पेज और ब्रिन ने 1998 में गूगल की शुरुआत की थी। रिस्ट्रक्चरिंग के अंतर्गत 2015 में गूगल ने पैरेंट कंपनी कला्फाबेट बनाई थी, ताकि सर्च और डिजिटल के प्रमुख कारोबार के अतिरिक्त दूसरे परियोजना संभाल सके। उस समय पेज गूगल के सीईओ पद से इस्तीफा देकर कला्फाबेट के सीईओ बने थे। पिचाई को गूगल के सीईओ का उत्तरदायित्व दी गई थी। उससे पहले पिचाई गूगल की एंड्रॉयड और क्रोम यूनिट का नेतृत्व कर रहे थे। पिचाई 15 वर्ष से गूगल में हैं। उन्होंने 2004 में कंपनी ज्वॉइन की थी।
अल्फाबेट को इस समय अपनी वेयमो और वेरिली जैसी सब्सिडियरी पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पड़ सकती है, क्योंकि गूगल के डिजिटल एडवरटाइजिंग जैसे कोर बिजनेस की वृद्धि धीमी पड़ रही है। दूसरी ओर गूगल पर प्रतिद्वंदी कंपनियों को ऑनलाइन सर्च में ब्लॉक करने जैसे मामलों में जुर्माने लग चुके हैं। प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन के मामलों में कई देशों के रेग्युलेटर कंपनी को दोषी ठहरा चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प गूगल पर राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं। कंपनी को बीते एक वर्ष के समय कई बार कर्मचारियों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा। यौन शोषण के आरोपी एंडी रुबिन को 9 करोड़ डॉलर का एग्जिट पैकेज देने के विरुद्ध गूगल के हजारों कर्मचारियों ने पिछले वर्ष प्रदर्शन किया था।
कर्मचारियों के विरोध के कारण से ही गूगल को चीन में फिर से एंट्री का प्रयास का ड्रैगनफ्लाई परियोजना रद्द करना पड़ा। इतना ही नहीं कंपनी ने अमेरिका के रक्षा विभाग का अनुबंध रिन्यू करने से भी इनकार कर दिया, क्योंकि कर्मचारियों ने पिचाई से अपील की थी कि कंपनी को युद्ध क्षेत्र के कारोबार से दूर रखा जाए।
पिचाई ने 1993 में आईआईटी खड़गपुर से बीटेक किया। उसी वर्ष स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिल गई। पिचाई ने वहां से इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली और विश्वविद्यालय ऑफ पेंसिल्वेनिया के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया। 2004 में गूगल जॉइन करने से पहले सॉफ्टवेयर कंपनी एप्लाइड मैटेरियल्स और मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मैकेंजी में कार्य किया था।